व्हीट प्रोडक्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (डब्ल्यूपीपीएस) द्वारा गुवाहाटी में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मिलिंग और बेकिंग तकनीकी सम्मेलन में भारत, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के उद्योग विशेषज्ञों, विशेषज्ञों और प्रमुख व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण मुद्दों सहित गेहूं आधारित उद्योगों के भविष्य पर चर्चा की। डब्ल्यूपीपीएस के अध्यक्ष अजय गोयल ने कहा कि यह कार्यक्रम गेहूं आधारित उद्योगों की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने, नवाचार और सहयोग के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।
अजय गोयल ने कहा कि हम डब्ल्यूपीपीएस-मिलिंग और बेकिंग तकनीकी सम्मेलन में अपने दृष्टिकोण और अनुभव साझा करने के लिए दुनिया भर के विशेषज्ञों को एक साथ लाने को लेकर रोमांचित हैं। डब्ल्यूपीपीएस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस सम्मेलन में आटा मिलों, ब्रेड, बिस्कुट, केक, पास्ता, बेकरी उद्यमियों, व्यावसायिक पेशेवरों और मार्केटिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए और उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
इन चर्चाओं और विश्लेषणों के आधार पर सम्मेलन के प्रतिभागियों ने भारत में गेहूं आधारित उद्योगों की सतत वृद्धि और विकास सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशों की एक शृंखला पेश कीः
एकीकृत बहुक्षेत्रीय फोकसः गेहूं की आवश्यकताओं की में भारी वृद्धि को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर एक एकीकृत बहु विषयक संगठन बनाया जाना चाहिए। यह संगठन बढ़ती आबादी के लिए गेहूं के माध्यम से पर्याप्त भोजन और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
गेहूं बोर्ड की स्थापना: आपूर्ति श्रृंखला के सभी स्तरों के प्रतिनिधियों के साथ एक समर्पित कमोडिटी निकाय, भारतीय गेहूं बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। यह निकाय एक थिंक टैंक और नीति सलाहकार ईकाई के रूप में काम करेगा जो भारत में गेहूं के उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण और उपयोग में स्वस्थ वृद्धि सुनिश्चित करेगा।
जलवायु लचीली किस्में और मिलिंग तकनीक: कृषि और खाद्य अनुसंधान संगठनों को उच्च उत्पादकता गुणों वाली जलवायु लचीली गेहूं की किस्मों के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके साथ ही अनुसंधान संस्थानों को मिलिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
बायोफोर्टिफाइड गेहूं की किस्में: आबादी की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए बायोफोर्टिफाइड गेहूं की किस्मों के विकास और प्रचार पर जोर दिया जाना चाहिए।
भंडारण और रख-रखाव का आधुनिकीकरण: गेहूं के भंडारण और रख-रखाव को आधुनिक बनाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू करने से कटाई के बाद और भंडारण के नुकसान में काफी कमी आएगी।
प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करना: भारत सरकार को गेहूं प्रसंस्करण उद्योग को प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर पारंपरिक से अधिक टिकाऊ प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
खाद्य नीति संगठनों में प्रतिनिधित्व: भारत सरकार और राज्य सरकारों को डब्ल्यूपीपीएस और गेहूं प्रसंस्करण उद्योगों के प्रतिनिधियों को नीति आयोग, एफएसएसएआई आदि जैसे विभिन्न खाद्य नीति निर्माता संगठनों में आमंत्रित करना चाहिए जिसका प्रभाव गेहूं आधारित उद्योगों पर पड़ता है।
सम्मेलन में उद्योग विशेषज्ञों ने गेहूं उत्पादन, मांग, आपूर्ति, खपत और भविष्य के बाजार के अवसरों के विभिन्न पहलुओं पर अपने दृष्टिकोण और शोध निष्कर्ष साझा किए। साथ ही गेहूं प्रसंस्करण, पोषण, खाद्य सुरक्षा और मानव आहार और स्वास्थ्य में गेहूं की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।