हर रसोई के लिए बुरी खबर। ऐसे समय जब देश में खाद्य तेलों के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई के आस-पास चल रहे हैं, इनकी कीमतें और बढ़ने की आशंका बन गई है। दरअसल इंडोनेशिया ने खाद्य तेलों के निर्यात पर फिलहाल रोक लगा दी है। भारत खाद्य तेलों का बड़ा आयातक है और इंडोनेशिया से बड़ी मात्रा में पाम ऑयल का आयात किया जाता है। यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण यूक्रेन से सनफ्लावर ऑयल का आयात पहले ही संकट में है। अब इंडोनेशिया से भी खाद्य तेलों का आयात ना होने पर आगे मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इंडोनेशिया सरकार का प्रतिबंध 28 अप्रैल से लागू होगा।
दरअसल इंडोनेशिया में भी घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम बढ़ गए हैं। वहां भी पाम ऑयल की किल्लत महसूस की जा रही है। इसलिए वहां की सरकार ने फिलहाल इनके निर्यात पर रोक लगा दी है। ऐसे में भारत की खाद्य तेल इंडस्ट्री ने सरकार से समस्या का समाधान करने का आग्रह किया है।
इससे पहले फरवरी में इंडोनेशिया ने स्थानीय उत्पादकों के लिए घरेलू बाजार में खाद्य तेल बिक्री की न्यूनतम सीमा 20 फ़ीसदी से बढ़ाकर 30 फ़ीसदी कर दी थी। तब से ग्लोबल मार्केट में खाद्य तेलों की कमी होने लगी थी। अब निर्यात पर पूरी तरह रोक लगा देने से स्थिति ज्यादा गंभीर होने की आशंका है। इंडोनेशिया और मलेशिया पाम ऑयल के सबसे बड़े सप्लायर हैं, खासकर भारत के लिए। भारत अर्जेंटीना और ब्राज़ील से भी खाद्य तेलों का आयात करता है। दुनिया में सबसे ज्यादा पाम ऑयल का ही इस्तेमाल होता है।
भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है। यहां हर साल लगभग 250 लाख टन खाद्य तेलों की खपत होती है। इसमें से लगभग 112 लाख टन खाद्य तेलों की आपूर्ति घरेलू उत्पादन से होती है। बाकी मांग आयात से ही पूरी होती है। भारत खाद्य तेलों का जो आयात करता है उसका लगभग 60 फ़ीसदी पाम ऑयल ही होता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि इंडोनेशिया सरकार के फैसले के बाद भारत में पाम तेल की कितनी किल्लत हो सकती है।
भारत के खाद्य तेल आयात में लगभग 25 फ़ीसदी सोयाबीन ऑयल और 12 फ़ीसदी के आसपास सनफ्लावर ऑयल होता है। सनफ्लावर ऑयल का ज्यादातर आयात यूक्रेन और रूस से ही होता रहा है। लेकिन युद्ध के कारण वहां से इनकी सप्लाई भी बाधित है।