केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है। पिछले एक महीने में खाद्य तेलों की कीमतों में लभगभ 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसकी तुलना में तिलहन फसलों का भाव ज्यादा नहीं बढ़ा है। देश की अनाज मंडियों में अधिकतर तिलहन फसलों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं, जिससे किसानों को अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।
केंद्र सरकार ने 13 सितंबर को खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का फैसला लिया था। जिसके बाद खाद्य तेलों की कीमतों में तेज उछाल आया है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 13 सितंबर को जब आयात शुल्क बढ़ा, तब पैक्ड सोयाबीन रिफाइंड तेल का औसत खुदरा दाम 118.81 रुपये प्रति लीटर था, जो 29 अक्टूबर को बढ़कर 138.58 रुपये हो गया है। इस दौरान सोयाबीन तेल की कीमतों में 16.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है लेकिन अनाज मंडियों में सोयाबीन का भाव अभी भी एमएसपी से कम है। मध्य प्रदेश सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक राज्य है। यहां की मंडियों में सोयाबीन का औसत भाव 4200 से 4600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2024-25 के लिए इसका एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
सोयाबीन की कीमतें कम होने के कारण मध्य प्रदेश में इस साल सरकारी खरीद की जा रही है। हालांकि, किसान मौजूदा एमएसपी से भी संतुष्ट नहीं हैं और सोयाबीन के लिए 6000 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं। किसानों को कहना है कि मौजूदा एमएसपी से उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है।
मूंगफली के तेल की बात करें तो पिछले एक महीने में इसकी कीमतों में 6.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 13 सितंबर को पैक्ड मूंगफली रिफाइंड तेल का औसत खुदरा दाम 118.8 रुपये प्रति लीटर था, जो 29 अक्टूबर को बढ़कर 194.85 रुपये हो गया। गुजरात और राजस्थान मूंगफली के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, इन राज्यों की मंडियों में मूंगफली का औसत दाम 5000 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2024-25 के लिए इसका एमएसपी 6783 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यानी मंडियों में मिल रही कीमतें एमएसपी से कम हैं।
सूरजमुखी रिफाइंड तेल की कीमतें पिछले एक महीने में 19.13 फीसदी बढ़ी हैं। 13 सितंबर को इसका औसत खुदरा दाम 120.16 रुपये प्रति लीटर था, जो 29 अक्टूबर को बढ़कर 143.15 रुपये हो गया है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सूरजमुखी के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, यहां की मंडियों में सूरजमुखी के बीजों की औसत भाव 5000 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं जबकि सरकार ने सूरजमुखी का एमएसपी 7280 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। अनाज मंडियों में मिल रहा दाम मौजूदा एमएसपी से काफी कम है।
सरसों तेल की कीमतों में पिछले एक महीने में 16.90 फीसदी का उछाल आया है। 13 सितंबर को सरसों तेल का औसत खुदरा दाम 141.76 रुपये प्रति लीटर था, जो 29 अक्टूबर को बढ़कर 165.35 रुपये हो गया है। एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, देश की अनाज मंडियों में सरसों का औसत भाव 5000 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है। केंद्र सरकार ने आगामी रबी सीजन के लिए सरसों का एमएसपी 5950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यानी सरसों का अधिकतम भाव एमएसपी से थोड़ा ही ऊपर है।
किसान उत्पादक संगठनों से जुड़े मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने रूरल वॉयल को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई जबकि इसकी तुलना में किसानों की फसलों की मिलने वाला दाम अभी भी कम हैं। इस फैसले का असर दिखने में अभी कुछ महीनों का समय लग सकता है, लेकिन सरकार के इस फैसले से बाजार में स्थिरता जरूर आई है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम डेढ़ महीने पहले 10 साल के निचले स्तर पर गिर गए थे, लेकिन अब कीमतों में सुधार हो रहा है। सरकार ने हाल ही में एमएसपी बढ़ाने की घोषणा की है, जिससे किसानों को लाभ होगा, लेकिन इससे उद्योग को मुश्किलें हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अगर घरेलू बाजार में तिलहन फसलों की कीमतें ज्यादा होंगी, तो उद्योग आयात पर निर्भर हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे किसानों और उद्योग दोनों को लाभ हो।