मार्च महीने में देश में 11.35 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है। यह मार्च 2022 की तुलना में 8% अधिक है। इंडस्ट्री बॉडी सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अनुसार पिछले साल मार्च में 10.51 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया गया था। अखाद्य तेलों के आयात में गिरावट आई है। यह 52,872 टन की तुलना में 36,693 टन रह गई।
खाद्य और खाद्य दोनों तरह के वनस्पति तेलों को देखे तो आयात में 6% की वृद्धि हुई है। पिछले साल मार्च में 11.04 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात हुआ था, पिछले महीने 11.72 लाख टन का आयात हुआ है।
तेल का मार्केटिंग वर्ष नवंबर से अक्टूबर तक होता है। इस लिहाज से देखें तो नवंबर 2022 से मार्च 2023 तक 69.80 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ जबकि पिछले साल इस अवधि में 56.43 लाख टन का आयात हुआ था।
तेल वर्ष के पहले 5 महीने में अखाद्य तेलों का आयात 1.53 लाख टन से घटकर 79,828 टन रह गया। इस दौरान सभी तरह के वनस्पति तेलों के आयात में 22% की वृद्धि हुई है। यह 57.95 लाख टन से बढ़कर 70.60 लाख टन हो गया।
एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है कि तेल वर्ष के पहले 5 महीने में 9.89 लाख टन रिफाइंड पामोलिन का आयात किया गया है। यह कुल पाम ऑयल आयात का लगभग 22% है। इससे घरेलू इंडस्ट्री अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर सकी।
एसोसिएशन का कहना है कि भारत की पाम रिफाइनिंग इंडस्ट्री क्षमता के बेहद कम इस्तेमाल से जूझ रही है क्योंकि रिफाइंड पामोलिन का बड़े पैमाने पर आयात हो रहा है। इसलिए उसने क्रूड पाम ऑयल और रिफाइंड पाम ऑयल के बीच आयात शुल्क का अंतर कम से कम 15% करने की मांग की है। अभी यह 7.5% है।
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नवंबर 2022 से मार्च 2023 के दौरान कीमतों के कारण पाम उत्पादों के आयात में काफी बढ़ोतरी हुई है। यह 26.53 लाख टन से बढ़कर 43.99 लाख तक पहुंच गई। पाम ऑयल का हिस्सा भी 45% से बढ़कर 63% हो गया है।