मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र में 3.9 फीसदी वृद्धि का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 3.6 फीसदी थी। शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जारी पहले अग्रिम अनुमान में यह बात कही गई है। मौजूदा मूल्यों पर कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के 6.6 फीसदी की तुलना में 9.1 फीसदी रहने का अनुमान है।
पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 9.2 फीसदी रहेगी। पिछले वित्त वर्ष में कोरोना लॉकडाउन के चलते जीडीपी 7.3 फीसदी घट गई थी। इस वर्ष भारत की वृद्धि दर दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक होगी। रिजर्व बैंक ने पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में मौजूदा वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी विकास दर का अनुमान जताया था। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और एसएंडपी का अनुमान 9.5 फीसदी का है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने 9.3 फीसदी और फिच रेटिंग्स ने 8.7 फीसदी विकास दर का अनुमान जताया है।
पहले अग्रिम अनुमान के आंकड़ों का इस्तेमाल अगले वित्त वर्ष के लिए बजट तैयार करने में इनपुट के तौर पर किया जाता है। इसका आकलन मोटे तौर पर वित्त वर्ष की पहली छमाही के आंकड़ों के आधार पर ही होता है। इस बार भी इस आकलन में फसल उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के पहले सात महीने के आंकड़े, निजी कंपनियों के पहली छमाही के प्रदर्शन आदि को शामिल किया गया है।
2019-20 से अधिक होगा जीडीपी का आकार
इन आंकड़ों के आधार पर जीडीपी का आकार इस वर्ष 147.54 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2020-21 का प्रोविजनल अनुमान 135.13 लाख करोड़ रुपए का था। एक और बात गौर करने लायक है कि इस वित्त वर्ष में जीडीपी का आकार कोरोना से पहले 2019-20 के 145.69 लाख करोड़ रुपए को पार कर जाने की संभावना है। हालांकि दिसंबर के अंत से कोरोनावायरस का ओमीक्रोन वेरिएंट तेजी से फैल रहा है। इसके चलते पूरे देश में आर्थिक गतिविधियों पर एक बार फिर अंकुश लग गया है। अर्थव्यवस्था को यह कितना प्रभावित करेगा यह इस बात पर निर्भर करेगा इसका असर कितने दिनों तक रहता है।
जीडीपी में सबसे बड़ा 54.8 फीसदी हिस्सा निजी खपत (पीएफसीई) का है। इसके 80.80 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था में निवेश को बताने वाला ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉरमेशन 48.51 लाख करोड़ रुपए के आसपास रहेगा। सरकारी खपत 17 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान जताया गया है। इस वर्ष निर्यात में 16.5 फीसदी और आयात में लगभग 30 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है।
प्रति व्यक्ति जीडीपी 8.1 फीसदी बढ़ सकती है
पिछले साल प्रति व्यक्ति जीडीपी में 8.2 फीसदी की गिरावट आई थी और यह 99,694 रुपए (2011-12 के स्थिर मूल्यों पर) रह गया था। इस बार इसमें 8.1 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया गया है और यह आंकड़ा 1,07,801 रुपए होगा। हालांकि इस वृद्धि के बावजूद प्रति व्यक्ति जीडीपी 2019-20 के 1,08,645 रुपए की तुलना में कम ही होगी। इस वर्ष कृषि में 3.9 फीसदी वृद्धि के अलावा खनन में 14.3 फीसदी, मैन्युफैक्चरिंग में 12.5 फीसदी, बिजली, गैस जलापूर्ति और अन्य यूटिलिटी सेवाओं में 8.5 फीसदी, कंस्ट्रक्शन में 10.7 फीसदी, ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि में 11.9 फीसदी, फाइनेंसियल, रियल स्टेट और प्रोफेशनल सर्विस में 4 फीसदी तथा पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 10.7 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया गया है।