दालों की महंगाई को काबू में रखने के लिए सरकार दालों के आयात को सुगम बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। इसी दिशा में कदम उठाते हुए अरहर और उड़द के आयात के बारे में एक अहम फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द के आयात को 31 मार्च, 2025 तक मुक्त श्रेणी में रख दिया है। अभी तक यह छूट 31 मार्च, 2024 तक थी। गुरुवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से इस बारे में अधिसूचना जारी की गई। इससे पहले सरकार ने मसूर दाल पर आयात शुल्क की छूट को एक साल के लिए बढ़ाया था।
सरकार के इस फैसले से दाल आयातकों को संकेत दिये गये हैं कि 31 मार्च, 2025 तक देश में दालों के आयात की उदार नीति जारी रहेगी। इसके साथ ही सरकार के इस कदम से दाल निर्यातक देशों को संकेत मिल गया है कि भारत में दालों आयात की संभावना का वह फायदा उठा सकते हैं। वहीं सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि वह दालों के मामले में देश के आत्मनिर्भरता हासिल करने को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं है। अक्तूबर, 2023 में दालों की महंगाई दर साल 18.79 फीसदी पर पहुंच गई थी। जो नवंबर माह में बढ़कर 20.23 फीसदी पर पहुंच गई।
इस साल कमजोर मानसून और अल-नीनो प्रभाव के चलते देश के दलहन उत्पादन को झटका लग सकता है। 2025 तक इन दालों के आयात को मुक्त श्रेणी में रखने से स्पष्ट है कि दलहन के मामले में देश में आत्मनिर्भरता नहीं है और घरेलू खपत को पूरा करने के लिए दालों का आयात बढ़ाना पड़ेगा। पिछले दिनों सरकार ने पीली मटर के आयात को भी शुल्क मुक्त कर दिया था।
मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान भारत ने कुल 19.63 लाख टन दालों का आयात किया। लोकसभा में एक लिखित जवाब में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने यह जानकारी दी। भारत हर साल अपनी जरूरत का लगभग 10-15 फीसदी यानी करीब 25 लाख टन दालों का आयात करता है। लेकिन इस साल सात महीने में ही दालों का आयात 20 लाख टन के करीब पहुंच गया।
उत्पादन और बुवाई में कमी
कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमानों के मुताबिक, चालू खरीफ सीजन में दलहन उत्पादन 71.18 लाख टन रहेगा जो पिछले साल के मुकाबले करीब पांच लाख टन कम है। वर्ष 2016-17 के बाद खरीफ सीजन में यह दालों का यह सबसे कम उत्पादन है। इस साल खरीफ सीजन में दलहन की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 5.41 लाख हेक्टेअर (4.2 फीसदी) घटकर 123.57 लाख हेक्टेअर रही है, जबकि खरीफ में दलहन का सामान्य क्षेत्र 139.70 लाख टन माना जाता है।
आयात को बढ़ावा
दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने जून में अरहर और उड़द के भंडारण पर स्टॉक लिमिट लगा दी थी जिसे सितंबर में और कम कर दिया था। दालों के आयात को सुगम बनाने के लिए अरहर और उड़द के ड्यूटी फ्री आयात की अनुमति दी गई है। इन रियायतों की वजह से भी दालों का आयात बढ़ा है।