देश में अफगानिस्तान के सेबों की आवक शुरू हो गई है, जिससे हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के बागवानों की चिंता बढ़ गई है। अफगानिस्तान से देश में जो सेब आता है वह एशियन फ्री ट्रेड एरिया (आफटा) के तहत आता है। जिस पर कोई आयात शुल्क (इंपोर्ट ड्यूटी) नहीं लगता। अफगानिस्तान का सेब ड्यूटी फ्री होने के चलते देश की मंडियों में कम दाम पर बिकता है। इसे आढ़ती कम दाम वाला सेब भी कहते हैं। जहां हिमाचल और कश्मीर का सेब बाजार में 100 से 150 रुपये प्रति किलो के बीच बिकता है, वहीं अफगानिस्तान का सेब सिर्फ 50 से 60 रुपये प्रति किलो के दाम पर उपलब्ध हो जाता है। जिस वजह से मंडियों को प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है और भारतीय सेब के दाम गिर जाते हैं। फिलहाल, अफगानिस्तान के सेबों की आवक शुरू होते ही हिमाचल और कश्मीर के सेबों के दाम में गिरावट शुरू हो गई है।
पिछले कुछ वर्षों में देश में अफगानिस्तान से सेब का आयात काफी तेजी से बढ़ा है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में अफगानिस्तान से 1,508 टन सेब का आयात हुआ था, जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 37,837 टन पहुंच गया। इस हिसाब से देखें तो देश में अफगानिस्तान से सेब का आयात लगभग 2400 फीसदी बढ़ा है। जिससे बागवानों की चिंता और बढ़ गई है।
हिमाचल प्रदेश फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने रूरल वॉयस को बताया कि अफगानिस्तान से सेबों का भारत आना शुरू हो गया है। यह आवक अगस्त-सितंबर में शुरू होती है और अक्टूबर-नवंबर तक चलती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की आजादपुर मंडी देश में अफगानिस्तान के ड्यूटी फ्री सेबों की सबसे बड़ी मंडी है और अब वहां उनकी शुरुआती खेप आनी शुरू हो गई है। इससे हिमाचल और कश्मीर के सेबों का व्यापार प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तो केवल शुरुआती खेप आई है, जिससे भारतीय सेब के दाम गिरने लगे हैं। जैसे-जैसे सितंबर-अक्टूबर में इसकी आवक बढ़ेगी, दाम और भी गिर जाएंगे, जिससे बागवानों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि पहले ही अत्यधिक गर्मी और बेमौसम बारिश के कारण सेब के उत्पादन पर असर पड़ा है, और अगर बागवानों को सही दाम नहीं मिलेंगे, तो उनका नुकसान और बढ़ जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि अफगानिस्तान के सेब को ड्यूटी-फ्री के दायरे से बाहर किया जाए और विदेशी सेबों पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाए।
कश्मीर फल उत्पादक एवं डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष फैयाज अहमद मलिक ने रूरल वॉयस को बताया कि अफगानिस्तान का ड्यूटी-फ्री सेब भारतीय सेब व्यापार को कड़ी टक्कर देता है। सस्ता होने के कारण आढ़ती इसे खरीदते हैं, जिससे हमारे सेब के दाम गिर जाते हैं, और बागवानों को कम दाम पर अपना सेब बेचना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि हर बागवान का सेब ए-ग्रेड क्वालिटी का हो, अधिकतर बागवानों के सेब मध्यम क्वालिटी के होते हैं। आढ़ती इसका फायदा उठाकर और अफगानिस्तान के सेब के नाम पर दाम गिरा देते हैं, जिससे हमारे बागवानों को कम दाम मिलते हैं, और वे उचित मुनाफा नहीं कमा पाते।