गेहूं की घरेलू कीमतों को नियंत्रित रखने और बाजार में उपलब्धता बनाए रखने के लिए सरकार केंद्रीय पूल से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री कर रही है। इसके बावजूद कीमतों में करीब 6.5 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 28 जून, 2023 से 27 नवंबर तक 23 नीलामियों में 41 लाख टन गेहूं की बिक्री की जा चुकी है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की ओर से ई-नीलामी के जरिये केंद्रीय पूल से गेहूं बेचा जा रहा है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 30 जून से लेकर 30 नवंबर तक पांच महीनों में गेहूं की खुदरा कीमतों में 6.47 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं गेहूं का आटा 5.89 फीसदी महंगा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, 30 जून को अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं की औसत खुदरा कीमत 29.2 रुपये प्रति किलो थी, जो 30 नवंबर को बढ़कर 31.09 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। इस दौरान गेहूं का आटा 34.32 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 36.34 रुपये किलो हो गया।
इसी तरह, अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं की औसत थोक कीमत में 5.71 फीसदी और गेहूं के आटे के थोक दाम में 5.24 फीसदी की वृद्धि हुई है। उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि 30 नवंबर, 2023 को गेहूं की औसत थोक कीमत 2756.51 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई, जो पांच महीने पहले 30 जून को 2607.56 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसी तरह, गेहूं के आटे की औसत थोक कीमत 3025.09 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3183.52 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई है।
ओएमएसएस के तहत आटा मिलों, ब्रेड निर्माताओं और छोटे व्यापारियों को गेहूं की बिक्री की जा रही है ताकि कीमतें नियंत्रण में रहे। जमाखोरी रोकने के लिए बड़े व्यापारियों को गेहूं की ई-नीलामी में शामिल होने की मंजूरी नहीं दी गई है। इसके अलावा, पिछले साल से ही सरकार ने गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगा रखी है। इसके बावजूद कीमतें काबू में नहीं आ रही हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 2022-23 के लिए फसलों के अंतिम अनुमान के मुताबिक, पिछले रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 1105.54 लाख टन रहा। 2021-22 में 1077.42 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।