खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की बुवाई के रकबे में चालू खरीफ सीजन 2023-24 में करीब सवा लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। सोयबीन उत्पादक तीन प्रमुख राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में जुलाई महीने में अच्छी बारिश की वजह से बुवाई का रकबा बढ़ा। इससे उम्मीद जताई जा रही थी कि इस साल सोयाबीन का उत्पादन काफी बेहतर रहेगा लेकिन अगस्त में पूरे देश में सूखे जैसे हालात ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
अगस्त में सामान्य से 36 फीसदी कम बारिश हुई है जो पिछले 120 सालों में सबसे कम है। बारिश नहीं होने से तापमान सामान्य से ज्यादा रहा जिसकी वजह से सोयाबीन की करीब 50 फीसदी फसल जल गई है। अगस्त में सोयाबीन में फूल आता है। बारिश नहीं होने की वजह से फूल बिखर गए। किसानों ने सिंचाई के जरिये पौधों को बचाने की कोशिश की। जो पौधे बचे थे उसमें इस समय दाना आ रहा है लेकिन ज्यादा तापमान की वजह से सोयबीन की फलियां सूख कर पापड़ हुई जा रही हैं। अब सिंचाई से भी स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है।
सोयाबीन का सबसे ज्यादा उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। मध्य प्रदेश के मालवा-नीमाड़ इलाके में इसकी सबसे ज्यादा खेती होती है। इसके अंतर्गत धार, झाबुआ, रतलाम, देवास, इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, सीहोर, शाजापुर, रायसेन, राजगढ़ तथा विदिशा जिले आते हैं। विदिशा जिले के अहमदपुर गांव के सोयाबीन किसान मनमोहन शर्मा ने रूरल वॉयस को बताया कि बारिश नहीं होने की वजह गर्मी बढ़ गई है जिससे सोयाबीन की करीब-करीब आधी फसल बर्बाद हो गई है। यह समय सोयाबीन की फलियों में दाना आने का है लेकिन गर्मी की वजह से फलियां सूख रही हैं।
उन्होंने कहा कि सिर्फ बारिश नहीं होना ही चिंता का कारण नहीं है बल्कि पर्याप्त बिजली भी नहीं मिल पा रही है। पहले गांव में 10 घंटे बिजली आती थी जो अब 6 घंटे मिल रही है। इसमें भी 1 घंटा लोड शेडिंग रहता है यानी सिंचाई के लिए 5 घंटे ही बिजली मिल रही है। इसकी वजह से भी सोयाबीन किसानों की स्थिति ज्यादा गंभीर हो गई है। पर्याप्त सिंचाई नहीं होने से मनमोहन शर्मा की 10 बीघे की फसल खराब हो गई है। बाकी बचे 10 बीघे की फसल की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। अगर सितंबर में भी बारिश की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो क्या होगा कहना मुश्किल है। उनके गांव के ज्यादातर किसानों की यही स्थिति है।
विदिशा जिले के ही खामखेड़ा के सोयाबीन किसान आशीष व्यास ने रूरल वॉयस से कहा कि इस बार मेरे इलाके में सोयाबीन की बुवाई के रकबे में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई। 7000 बीघे के रकबे में से करीब 5000 रकबे में सोयाबीन की बुवाई हुई लेकिन अगस्त में बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ गई हैं और स्थिति गंभीर हो गई है। बारिश होने से तापमान कम रहता है जो सोयाबीन की फसल के लिए अच्छा है। मगर तापमान ज्यादा रहने से सिंचाई का भी ज्यादा फायदा नहीं मिलता है। यही वजह है कि सिंचाई के बावजूद फसल की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। गर्मी की वजह से यिल्लियों (कीड़ा) का भी प्रकोप ज्यादा है। अगर आगे भी बारिश नहीं हुई तो फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। जो फसल बचेगी उसकी गुणवत्ता खराब होगी और दाने छोटे होंगे। ऐसे में लागत निकालना भी मुश्किल होगा।
केंद्रीय कृषि एवं किसान मंत्रालय के 1 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवई का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 123.91 लाख हेक्टेयर से 1.22 लाख हेक्टेयर बढ़कर 125.13 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। मध्य प्रदेश में रकबा 53.87 लाख हेक्टेयर से घटकर 53.35 लाख हेक्टेयर रहा है। जबकि महाराष्ट्र में 48.70 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 50.44 लाख हेक्टेयर रहा है। राजस्थान में 11.44 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई है जो पिछले साल 11.51 लाख हेक्टेयर थी।
चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इस समय मंडियों में सोयाबीन का भाव 5,000-7,700 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है।