एमएसपी पर बनी कमेटी की सिफारिशें मिलने के बाद ही सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर कोई फैसला ले सकती है। किसान आंदोलन के बाद एमएसपी के कानूनी अधिकार समेत किसानों से जुड़े मुद्दों पर विचार के लिए एक समिति का गठन किया गया था। समिति की अब तक 35 बैठकें हो चुकी हैं और उसकी सिफारिशें आनी बाकी हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में यह जानकारी दी है।
लोकसभा में पूरक प्रश्नों का लिखित जवाब देते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के मुताबिक किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है। अब सरकार 2.28 लाख करोड़ रुपये के फसलों की खरीदारी कर रही है।
उन्होंने कहा, "न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित विभिन्न मुद्दों की जांच के लिए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के बाद केंद्र द्वारा गठित समिति ने अब तक 30 से 35 बैठकें की हैं। समिति की सिफारिशें अभी आनी बाकी हैं।"
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के एक सवाल का जवाब देते हुए तोमर ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने एमएस स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था, लेकिन इसकी रिपोर्ट मनमोहन सिंह सरकार के समय आई। मनमोहन सरकार ने आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के लिए तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री की अध्यक्षता में एक समूह का गठन किया।
उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन आयोग ने 201 सिफारिशें की थीं। इनमें से 100 सिफारिशों पर एनडीए सरकार काम कर रही है, लेकिन मुख्य सिफारिश एमएसपी पर थी। स्वामीनाथन आयोग ने कहा था कि लागत पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी घोषित किया जाना चाहिए। इसी सिफारिश के मुताबिक अब सरकार उत्पादन लागत पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर एमएसपी तय कर रही है।