चालू वित्त वर्ष में भी कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है। कोविड-19 महामारी का इस पर बहुत ज्यादा असर नहीं है। सोमवार को संसद में पेश किए गए वित्त वर्ष 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात कही गई है। सर्वेक्षण में फसलों के विविधीकरण, कृषि से संबद्ध क्षेत्रों और नैनो यूरिया जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.6 फ़ीसदी रही थी, जबकि पूरी जीडीपी की ग्रोथ दर -7.3 फ़ीसदी रही थी। सर्वेक्षण के अनुसार डेयरी और फिशरीज समेत कृषि से संबंध क्षेत्रों में तेजी के कारण पूरे सेक्टर में अच्छी ग्रोथ दिख रही है।
सर्वेक्षण के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर के दौरान उर्वरक सब्सिडी 85,300 करोड़ रुपये की रही। इसमें 49,800 करोड़ रुपये की सब्सिडी यूरिया पर दी गई। बाकी 35,500 करोड़ रुपये फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों के लिए दिए गए। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 1.38 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी दी गई थी। इन नौ महीनों में देश में 2.85 करोड़ टन उर्वरकों का उत्पादन हुआ। इसमें यूरिया 1.87 करोड़ टन, डीएपी 30 लाख टन था।
कृषि संबद्ध क्षेत्र किसानों की नियमित आय का जरिया
सर्वेक्षण के मुताबिक कृषि से संबद्ध क्षेत्र तेज विकास वाले सेगमेंट के रूप में उभर रहे हैं। इनमें पशुपालन डेयरी और फिशरीज भी शामिल हैं। इनसे किसानों की आमदनी भी बढ़ी है। इसलिए हमें इन क्षेत्रों की संभावनाओं का पूरा दोहन करने की जरूरत है। सिचुएशन एसेसमेंट सर्वे (एसएएस) में भी पता चला है कि संबद्ध क्षेत्र किसान परिवारों के लिए आमदनी का नियमित जरिया हैं। उनकी औसतन 15 फ़ीसदी आमदनी इन्हीं संबद्ध क्षेत्रों से आती है। खेती की जमीन का आकार लगातार छोटा होना एक समस्या है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से छोटे और सीमांत किसानों की उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है।
विविधीकरण से टिकाऊ खेती होगी, किसानों की आय बढ़ेगी
सर्वेक्षण में सरकार को फसलों के विविधीकरण का सुझाव दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अभी फसलों का जो पैटर्न है वह गन्ना, धान और गेहूं की तरफ ज्यादा है। इससे देश के अनेक हिस्से में भूजल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। फसलों के विविधीकरण से टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के साथ आयात पर निर्भरता घटाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। सर्वेक्षण में तिलहन, दलहन, बागवानी फसलों को अपनाने की बात कही गई है। इसके लिए सिंचाई, निवेश, कर्ज और बाजार उपलब्ध कराने जैसे मुद्दों को हल करने का सुझाव दिया गया है।
पहले 6 महीने में 7.36 लाख करोड़ रुपए के कृषि कर्ज
सर्वेक्षण में बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 6 महीने में 7.36 लाख करोड़ रुपए के कृषि कर्ज दिए गए हैं। सरकार ने इस वर्ष 16.5 लाख करोड़ रुपए के कृषि कर्ज का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में 15 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य की तुलना में 15.75 लाख करोड़ रुपए के कृषि कर्ज दिए गए थे। बैंकों ने इस वर्ष 17 जनवरी तक 2.7 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए हैं। इसके अलावा 67,581 किसान क्रेडिट कार्ड मछुआरों को और 14 लाख से अधिक कार्ड पशुपालन और डेयरी किसानों को दिए गए।
2020-21 में कुल 302 करोड़ लीटर एथेनॉल की सप्लाई
सर्वेक्षण में बताया गया है कि नवंबर में खत्म हुए सप्लाई वर्ष 2020-21 में कुल 302 करोड़ लीटर एथेनॉल की सप्लाई होने की उम्मीद है। साल 2013-14 में सिर्फ 38 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई हुई थी। सर्वेक्षण के मुताबिक पेट्रोल के साथ एथेनॉल का मिश्रण 8.1 फ़ीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है। सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20 फ़ीसदी एथेनॉल मिश्रित करने का लक्ष्य रखा है। सर्वेक्षण में उम्मीद जताई गई है कि 2022 में यह मिश्रण 10 फ़ीसदी तक पहुंच जाएगा।
इस वर्ष विकास दर 9.2 फीसदी, अगले साल 8-8.5 फीसदी
सर्वे में मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर 9.2 फ़ीसदी और 2022-23 में 8 से 8.5 फ़ीसदी रहने की उम्मीद जताई गई है। इसमें कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियां महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच गई हैं। इसलिए 2022-23 में अर्थव्यवस्था चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। अगले वित्त वर्ष के दौरान वैक्सीन कवरेज बढ़ने, आपूर्ति बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों और नियमों को आसान बनाने का फायदा मिलेगा। विकास दर का अनुमान कच्चे तेल की कीमत 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल के आधार पर लगाया गया है, जबकि अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 90 डॉलर के आसपास चल रही है। महंगाई की ऊंची दर के बारे में कहा गया है कि थोक महंगाई अधिक होने का एक कारण आधार (बेस इफेक्ट) है, इसका असर जल्दी ही खत्म हो जाएगा। लेकिन हमें कच्चे तेल के कारण आयातित महंगाई को ध्यान में रखने की जरूरत है।