वित्त वर्ष 2022-23 में उर्वरक सब्सिडी 1.65 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर जा सकती है। ग्लोबल मार्केट में उर्वरकों और इन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के दाम में तेजी से हुई वृद्धि के कारण यह नौबत आएगी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। 2022-23 के बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
रूस, बेलारूस और यूक्रेन गैर यूरिया फर्टिलाइजर बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के बड़े सप्लायर हैं। लेकिन युद्ध के कारण वहां से इनकी आपूर्ति बाधित हुई है। इसका नतीजा यह हुआ कि इन रसायनों के दाम काफी बढ़ गए हैं। मार्च 2022 में एक साल पहले की तुलना में फास्फोरिक एसिड की कीमत 92 फ़ीसदी और रॉक फास्फेट की 99 फ़ीसदी अधिक थी।
सरकार गैर यूरिया फर्टिलाइजर के लिए न्युट्रिएंट आधारित सब्सिडी का भुगतान करती है ताकि उर्वरकों का इस्तेमाल करने वाले किसानों को उनकी अधिक कीमत ना चुकानी पड़े। यूरिया के मामले में सरकार खुदरा कीमत तय करती है और सब्सिडी का भुगतान सीधे निर्माता कंपनियों को दे देती है। यूरिया बनाने में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल होता है और उसकी कीमत भी काफी बढ़ गई है। उसका असर भी सब्सिडी बिल पर पड़ने की संभावना है।
क्रिसिल का कहना है कि सरकार इस समस्या से सक्रियता से निपटने की कोशिश कर रही है। बीते दो वर्षों में सरकार ने बजट प्रावधान के मुकाबले अतिरिक्त 1.2 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया है। इस बार भी जिस तरह से कच्चे माल के दाम में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है इस वर्ष भी सरकार को बजटीय लक्ष्य की तुलना में अधिक रकम का भुगतान करना पड़ेगा।