कांग्रेस ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का वादा किया है। साथ ही किसानों को कर्ज मुक्त बनाने के लिए कर्ज माफी की घोषणा करने, खेती को मुनाफा लायक बनाने और कृषि को उद्योग की तरह सरकारी सहायता और बैंकिंग रियायते देने जैसे कदम उठाए जाएंगे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सम्पन्न हुए कांग्रेस के 85वें पूर्ण अधिवेशन में पार्टी की कृषि एवं किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से यह मसौदा पेश किया गया।
मसौदे में कहा गया है कि हर किसान को उसकी फसल का एमएसपी मिलने का कानूनी अधिकार होगा और इससे नीचे फसल खरीद को गैरकानूनी माना जाएगा। अधिवेशन में दिए भाषण में भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि एमएसपी की गणना सी2 लागत पर 50 फीसदी लाभ जोड़कर की जानी चाहिए जैसा कि स्वामीनाथन आयोग और उनकी अध्यक्षता वाले मुख्यमंत्रियों के समूह ने 2010 में सिफारिश की थी। मसौदे के मुताबिक, मंडी व्यवस्था को आधुनिक बनाया जाएगा ताकि कोई भी खरीदार एमएसपी से नीचे खरीद कर इस कानून का उल्लंघन न कर सके। कांग्रेस की समिति ने कहा है कि खाद्यान्न, दालों, तिलहन, मोटे अनाजों और गन्ना व कपास जैसी व्यवसायिक फसलों समेत एमएसपी के तहत आने वाले मौजूदा कृषि उत्पादों के अलावा हल्दी, मिर्च, अदरक, लहसुन और बागवानी तक सभी कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी निर्धारित करने की नई व्यवस्था की जाएगी। इस व्यवस्था का फायदा बटाईदारों को भी मिलेगा। उनको भी एमएसपी का फायदा दिया जाना जरूरी है ताकि खेती को मुनाफा लायक बनाया जा सके।
कार लोन की तरह मिलेगा ट्रैक्टर लोन
कांग्रेस के मसौदे में कहा गया है कि केंद्र में सरकार बनने के बाद किसानों के 6 लाख रुपये तक के कर्ज को माफ किया जाएगा। इस योजना में लघु और सीमांत किसानों का पूरा कर्ज माफ करने का प्रावधान होगा। इससे देश के 85 फीसदी किसान कर्ज के बोझ से बाहर आ सकेंगे। साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की फसल कर्ज की तर्ज पर ही टर्म लोन भी रियायती दर पर दिया जाएगा। इसके लिए ब्याज की रियायती दर चार फीसदी होगी। मसौदे के मुताबिक, टर्म लोन से ट्रैक्टर व दूसरे कृषि उपकरण खरीदने पर किसान की जमीन की बजाय उपकरण या ट्रैक्टर को ही मार्गेज किया जा सकेगा। इसे कार लोन की तर्ज पर ही लागू किया जाएगा ताकि किसानों को जमीन बंधक न रखनी पड़े।
नई बीमा योजना में शामिल होंगी सभी फसलें
हुड्डा ने कहा कि प्रकृति की मार से किसानों की फसल को बचाने की भाजपा सरकार की बहुचर्चित और प्रमुख योजना अपने आकार-प्रकार सहित किसी भी रूप में न तो किसानों के अनुकूल है, न उनके हित में है और न ही उचित है। यह मुनाफा कमाने वाली निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरने की योजना बनकर रह गई है। इस योजना की सभी कमियों को दूर करके इसको नया स्वरूप दिया जाएगा और बीमा को यूनिवर्सल बनाया जाएगा यानी खेती के तहत आने वाले पूरे क्षेत्र का बीमा किया जाएगा। मौजूदा फसल बीमा योजना की कमियों के चलते ही कई राज्यों ने इसे लागू नहीं किया है और गुजरात व मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्य इससे बाहर निकल गए हैं। इस योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसे- कृषि इन्श्योरेन्स कंपनी ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा जो 'नो-प्रॉफिट, नो-लॉस' के सिद्धांत पर प्रीमियम चार्ज करेंगी। बीमा कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक रिवालविंग फंड बनाया जाएगा। मसौदे में कहा गया है कि कर्जदार किसानों के खातों से काटे जा रहे बीमा प्रीमियम पर कांग्रेस सरकार तत्काल रोक लगेगी। साथ ही फसल के नुकसान का आकलन सरकार करेगी न कि बीमा कंपनियां ताकि बीमा कंपनियों द्वारा समय पर पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित किया जा सके। नई बीमा योजना में सभी फसलों को शामिल करने के साथ ही डेयरी और मत्यस्य पालन क्षेत्र को भी इसके तहत लाया जाएगा।
हुड्डा समिति की अन्य सिरफारिशें-
- कृषि विकास और किसानों की आय पर एक आयोग स्थापित किया जाएगा, जिसमें किसानों, कृषि अर्थशास्त्रियों और कृषि वैज्ञानिकों को शामिल किया जाएगा जो इस बात का परीक्षण कर सुझाव देगा कि कृषि को लाभकारी व्यवसाय कैसे बनाया जाए। यह आयोग कृषि उपज के लिए उपयुक्त एमएसपी की सिफारिश करने के लिए मौजूदा कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) को भी समाहित करेगा।
- उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि जीडीपी का 1 फीसदी कृषि अनुसंधान और विकास पर खर्च किया जाएगा।
- 5 एकड़ तक जोत वाले सभी किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपये का प्रत्यक्ष निवेश सहायता सुनिश्चित करने की सिफारिश।
- हरित क्रांति को सदाबहार क्रांति में बदलने के लिए काम प्रोत्साहन और मशीनीकरण के माध्यम से फसलों का विविधीकरण करने की सिफारिश।
- किसानों के लिए संस्थागत कर्ज सुधार योजना लागू किया जाएगा ताकि काश्तकार किसानों, बटाईदारों, मौखिक पट्टेदारों, भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों से औपचारिक ऋण आसानी से मिल सके। लंबी अवधि के फसली ऋण पर वार्षिक ब्याज दर 4 फीसदी से अधिक नहीं होगी। साथ ही सभी किसानों को 0 फीसदी ब्याज दर पर फसली कर्ज दिया जाएगा।
- छोटे व सीमांत किसानों और खेतिहर मजदूरों को मामूली प्रीमियम पर 10 लाख रुपये तक का जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी जाएगी।
- कृषि और किसानों से संबंधित मुद्दों की प्राथमिकता और सर्वोच्चता सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष और अलग कृषि बजट पेश करने और राष्ट्रीय किसान कल्याण कोष बनाने का प्रस्ताव।
- किसानों व खेतिहर मजदूरों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर किसान मॉडल स्कूलों की स्थापना करने का प्रस्ताव।