चावल निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद केंद्र सरकार ने भूटान, मॉरीशस और सिंगापुर को 1.43 लाख टन गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात की विशेष मंजूरी दी है। इन तीनों देशों को यह निर्यात नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के जरिये की जाएगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। ताजा अधिसूचना में निर्यातकों को 30 अक्टूबर तक गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात करने की सशर्त छूट भी दी गई है।
डीजीएफटी की 29 अगस्त की अधिसूचना में कहा गया है कि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई को लगाई गई पाबंदी से पहले जिन निर्यातकों ने निर्यात शुल्क जमा कर दिया था या अपनी निर्यात खेप सीमा-शुल्क विभाग को सौंप दी थी और उसे निर्यात के लिए सीमा-शुल्क प्रणाली में दर्ज कर लिया गया था तो फिर उस खेप का निर्यात किया जा सकता है। डीजीएफटी ने इसके लिए 20 जुलाई की रात 9 बजकर 57 मिनट तक की समय सीमा तय की है यानी इस समय तक निर्यात शुल्क जमा करने वाले निर्यातकों को ही यह छूट दी गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि यह छूट 30 अक्टूबर तक के लिए ही दी जा रही है यानी इस समय तक निर्यात की खेप को भेजना जरूरी होगा।
गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर जब पाबंदी लगाई गई थी तो कहा गया था कि विभिन्न देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों और उन देशों की सरकारों द्वारा अनुरोध किए जाने सहित कुछ विशेष परिस्थितियों में सरकार द्वारा निर्यात की मंजूरी दी जाएगी। इसी के तहत भूटान, मॉरीशस और सिंगापुर को चावल निर्यात की मंजूरी दी गई है। अधिसूचना में बताया गया है कि भूटान को 79 हजार टन, मॉरीशस को 14 हजार टन और सिंगापुर को 50 हजार टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात किया जाएगा।
चावल की घरेलू कीमत में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद 26 अगस्त को गैर-बासमती सेला (पारबॉयल्ड) चावल के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगाने और बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन करने का फैसला किया था।