उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा वर्ष 2024 के 'श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ के लिए कथाकार चंद्रकिशोर जायसवाल तथा प्रथम ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको युवा साहित्य सम्मान’ के लिए रेनू यादव के नाम की घोषणा की गई है। रचनाकारों का चयन वरिष्ठ साहित्यकार असग़र वजाहत की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने किया है। इस वर्ष की सम्मान चयन समिति में डॉ. अनामिका, प्रियदर्शन, यतीन्द्र मिश्र, उत्कर्ष शुक्ल एवं डॉ. नलिन विकास शामिल थे।
चंद्रकिशोर जायसवाल का जन्म 15 फरवरी, 1940 को बिहार के मधेपुरा जिले के बिहारीगंज में हुआ। आपने पटना विश्वविद्यालय, पटना से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर शिक्षा हासिल की और अरसे तक अध्यापन करने के बाद भागलपुर अभियंत्रणा महाविद्यालय, भागलपुर से प्राध्यापक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘गवाह गैरहाजिर’, ‘जीबछ का बेटा बुद्ध’, ‘शीर्षक’, ‘चिरंजीव’, ‘माँ’, ‘दाह’ ‘पलटनिया’, ‘सात फेरे’, ‘मणिग्राम’, ‘भट्ठा’, ‘दुखग्राम’ (उपन्यास); ‘मैं नहिं माखन खायो’, ‘मर गया दीपनाथ’, ‘हिंगवा घाट में पानी रे!’, ‘जंग’, ‘नकबेसर कागा ले भागा’, ‘दुखिया दास कबीर’, ‘किताब में लिखा है’, ‘आघातपुष्प’, ‘तर्पण’, ‘जमीन’, ‘खट्टे नहीं अंगूर’, ‘हम आजाद हो गए!’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘शृंगार’, ‘सिंहासन’, ‘चीर-हरण’, ‘रतजगा’, ‘गृह-प्रवेश’, ‘रंग-भंग’ (नाटक); ‘आज कौन दिन है?’, ‘त्राहिमाम’, ‘शिकस्त’, ‘जबान की बन्दिश’ (एकांकी)।
आप ‘रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान’ (हजारीबाग), ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’ (आरा), ‘आनन्द सागर कथाक्रम सम्मान’ (लखनऊ), बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का ‘साहित्य साधना सम्मान’ (पटना) और बिहार सरकार का जननायक ‘कर्पूरी ठाकुरी सम्मान’ (पटना) से सम्मानित हैं।
आपके उपन्यास ‘गवाह गैरहाजिर’ पर राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम द्वारा निर्मित फ़िल्म ‘रूई का बोझ’ और कहानी ‘हिंगवा घाट में पानी रे!’ पर दूरदर्शन द्वारा निर्मित फ़िल्में काफी चर्चित रही हैं। ‘रूई का बोझ’ नेशनल फ़िल्म फेस्टिवल पैनोरमा (1998) के लिए चयनित हुई थी और अनेक अन्तराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सवों में प्रदर्शित हो चुकी है।
रेनू यादव का जन्म 16 सितम्बर, 1984 को गोरखपुर में हुआ था। वह ग्रेटर नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा एवं साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उनकी प्रमुख कृतियां है- 'महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना का मनोविश्लेषण' (आलोचनात्मक पुस्तक), 'मैं मुक्त हूँ' (काव्य-संग्रह), साक्षात्कारों के आईने में - सुधा ओम ढींगरा (संपादित पुस्तक)।
रेनू यादव का मासिक पत्रिका साहित्य नंदिनी में 'चर्चा के बहाने' स्तम्भ (कॉलम) प्रकाशित होता है तथा इससे पहले कैनेडा से निकलने वाली पत्रिका हिन्दी चेतना में 'ओरियानी के नीचे' नामक स्तम्भ प्रकाशित होता था। उनकी स्त्री-विमर्श पर केन्द्रित कहानियाँ, कविताएँ एवं शोधात्मक आलेख आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। वे 'सृजन श्री' सम्मान सृजन-सम्मान बहुआयामी सांस्कृतिक संस्था, प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, रायपुर (छत्तीसगढ़), 'विरांगना सावित्रीबाई फूले नेशनल फेलोशिप अवार्ड' भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली से सम्मानित हो चुकी हैं।
मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान प्रत्येक वर्ष ऐसे हिन्दी लेखक को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में मुख्यतः ग्रामीण व कृषि जीवन का चित्रण किया गया हो। इससे पहले यह सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर, महेश कटारे, रणेंद्र, शिवमूर्ति, जयनंदन और मधु कांकरिया को प्रदान किया गया है। इस पुरस्कार के अन्तर्गत सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चैक प्रदान किया जाता है।
इफको निदेशक मंडल के अनुमोदन से इस वर्ष से शुरू हुए ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको युवा साहित्य सम्मान’ के अंतर्गत सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति-पत्र और ढाई लाख रुपये का चैक प्रदान किया जाएगा।
चंद्रकिशोर जायसवाल एवं रेनू यादव को यह सम्मान 30 सितंबर, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा।