रबी सीजन 2024-25 के लिए गेहूं की सरकारी खरीद जोर पकड़ चुकी है। केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के अनुसार, अब तक सरकारी एजेंसियां लगभग 202 लाख टन गेहूं खरीद चुकी हैं। यह पिछले साल की समान अवधि में हुई खरीद से करीब 10 फीसदी कम है जबकि इस साल के लिए निर्धारित 372.90 लाख गेहूं खरीद के लक्ष्य से 46 फीसदी कम है। इस कमी का मुख्य कारण मध्य प्रदेश, यूपी और राजस्थान में गेहूं की कम खरीद है। तीनों भाजपा शासित राज्य हैं लेकिन केंद्रीय पूल के लिए गेहूं खरीद के मामले में लक्ष्य से पिछड़ रहे हैं।
अब तक पंजाब में सबसे ज्यादा लगभग 95 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तीनों राज्यों को मिलाकर भी 50 लाख टन से कम गेहूं खरीदा गया है। इसे देखते हुए गेहूं खरीद के लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। पंजाब में लेट कटाई के कारण गेहूं की खरीद पिछड़ी है लेकिन सीजन के आखिर तक 130 लाख टन खरीद होने का अनुमान है।
पिछले साल देश में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन के दावों के बावजूद सरकारी खरीद घटकर 261.97 लाख टन रह गई थी। जबकि वर्ष 2021-22 में खरीद 433 लाख टन तक पहुंच गई थी। इस बार भी गेहूं की बंपर फसल का अनुमान है जिसे देखते हुए गेहूं खरीद बढ़ने की उम्मीद थी। मगर सरकारी खरीद के ताजा आंकड़े अलग तस्वीर पेश करते हैं।
मध्यप्रदेश में कम खरीद
देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश में अब तक करीब 37 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जो 80 लाख टन गेहूं खरीद के लक्ष्य का आधा भी नहीं है। यह स्थिति तब है जबकि मध्यप्रदेश सरकार गेहूं खरीद पर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के अलावा 125 रुपये का बोनस भी दे रही है। किसानों को 2,400 रुपये का भाव देने के बावजूद एमपी में गेहूं की खरीद कम हो रही है।
खरीद बढ़ाने के लिए सरकार ने किसानों से गेहूं खरीदने की अंतिम तिथि 15 मई से बढ़ाकर 20 मई कर दी है। साथ ही बारिश और ओलावृष्टि में भीगे गेहूं के खरीद नियमों में ढील देते हुए लस्टर लॉस (गेहूं के दाने की चमक उड़ना, दाना खराब होना और सिकुड़ना) की सीमा को 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा टूटे हुए गेहूं के दाने की सीमा छह प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दी है।
एमपी में पैदावार भी प्रभावित
मध्य प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को नुकसान हुआ था। खरीद में कमी के पीछे गेहूं की पैदावार और उत्पादन में गिरावट भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। क्योंकि गेहूं खरीद का भाव अधिक होने से प्राइवेट ट्रेडर्स मध्यप्रदेश से अधिक खरीद नहीं करेंगे। इस लिहाज से सरकारी खरीद बढ़नी चाहिए। लेकिन किसानों को अधिक दाम देने और क्वालिटी मानकों में ढील के बाद भी मध्यप्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद कम होना चिंताजनक है।
मध्य भारत कंसोर्सियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने रूरल वॉयस को बताया कि राज्य में गेहूं की फसल को बारिश और ओलावृष्टि से 15 से 20 फीसदी नुकसान हुआ है। अभी गेहूं की सरकारी खरीद में आवक कम है हालांकि सरकार ने इसकी समयावधि बढ़ा दी है और गुणवत्ता मानकों में भी छूट दी है। लेकिन इसके बावजूद राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा होना संभव नहीं दिख रहा है। बेहतर दाम की उम्मीद में भी किसान पूरी फसल को मंडियों में नहीं ला रहे हैं।
यूपी और राजस्थान में भी लक्ष्य के मुकाबले कम खरीद
राजस्थान में भी 125 रुपये प्रति क्विंटल के बोनस के साथ 2,400 रुपये के रेट पर गेहूं की खरीद हो रही है। राज्य में अब तक 4.52 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जो पिछले साल से अधिक है लेकिन देश में कुल गेहूं खरीद का मात्र 2.25 फीसदी है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में 5.97 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जो 60 लाख टन गेहूं खरीद के लक्ष्य का मात्र 10 फीसदी है। उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद का मूल्य मध्यप्रदेश और राजस्थान से कम होने की वजह से किसान तुरंत गेहूं बेचने की बजाए अच्छे भाव की उम्मीद में स्टॉक कर रहे हैं। यह यूपी में गेहूं खरीद कम होने की वजह सकती है।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कुल मिलाकर करीब 48 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जबकि तीनों राज्यों से कुल 160 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है। इन राज्यों से कम खरीद को देखते हुए लक्ष्य पूरा होना मुश्किल लग रहा है।
पंजाब, हरियाणा पर बढ़ी निर्भरता
गेहूं खरीद के मामले में पंजाब और हरियाणा पर दारोमदार बढ़ गया है। हरियाणा में करीब 60 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जो 70 लाख टन तक पहुंच सकती है। हरियाणा और पंजाब से अब तक करीब 155-160 लाख टन गेहूं खरीदा गया है जो सीजन के आखिर तक 200 लाख टन तक पहुंच सकता है। इस तरह देश में गेहूं की कुल खरीद 270-280 लाख टन के आसपास रह सकती है।
गेहूं की सर्वाधिक खरीद अप्रैल-मई इन दो महीनों में होती है। अप्रैल का महीना समाप्त हो चुका है और कुल खरीद लक्ष्य के मुकाबले करीब 171 लाख टन कम हुई है। लगभग यही स्थिति पिछले साल थी जब 261.97 लाख टन गेहूं खरीदा गया था जबकि लक्ष्य 341.50 लाख टन खरीद का रखा गया था।