केंद्र सरकार ने व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बिग चेन के रिटेलरों और प्रोसेसरों के लिए हर सप्ताह चीनी की स्टॉक बताना अनिवार्य कर दिया है। इस बारे में उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि चीनी बाजार में जमाखोरी से निपटने और बेईमान सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इन कारोबारियों को हर सोमवार को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल (https://esugar. nic.in) पर अपना चीनी का स्टॉक बताना होगा।
मंत्रालय का कहना है कि जमाखोरी और सट्टेबाजी रोककर सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी उपभोक्ताओं के लिए चीनी सस्ती दरों पर उपलब्ध हो। यह उपाय नियामक अधिकारियों को स्टॉक स्तरों की सूक्ष्मता से निगरानी करने और किसी भी संभावित बाजार धोखाधड़ी के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है।
मंत्रालय के अनुसार, पूरी तरह से डिजिटल यह पहल कमोडिटी जमाखोरों को किसी भी सट्टा लेनदेन से रोकने के साथ चीनी बाजार को सुचारू बनाने में मदद करेगी। इसके अतिरिक्त, यह पहल चीनी स्टॉक पर रियल टाइम में डेटा भी प्रदान करेगी और आवश्यकता पड़ने पर सरकार को नीतिगत निर्णय लेने में मदद करेगी।
सरकार प्रासंगिक कानूनों और मासिक घरेलू कोटा मानदंडों का पालन करने के लिए चीनी मिलों और व्यापारियों से भी सहयोग की उम्मीद कर रही है। इसका उल्लंघन करने वाली मिलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय के अनुसार, अगस्त 2023 के अंत में 83 लाख टन अक्टूबर 2023 में पेराई शुरू होने की उम्मीद के साथ, भारत के पास घरेलू खपत के लिए पर्याप्त स्टॉक है और त्योहारों के लिए कोई कमी नहीं है। सरकार ने 13 लाख टन की घरेलू बिक्री कोटा की पहली किस्त भी जारी कर दी है, जिसे चीनी मिलें तत्काल बेचना आरंभ कर सकती हैं। बाजार की स्थितियों को देखते हुए शीघ्र ही और कोटा जारी किया जाएगा।
इस बीच, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि सितंबर में अच्छी बारिश को देखते हुए चीनी उत्पादन में सुधार की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार मिलों से चीनी का अतिरिक्त स्टॉक बेचने के लिए कहेगी ताकि घरेलू बाजार में कीमतों पर लगाम लगाई जा सके।
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