केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दालों की महंगाई नियंत्रण में नहीं आ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह पिछले साल दालों का उत्पादन घटना और इस साल दालों की बुवाई के रकबे में करीब 11 लाख हेक्टेयर की कमी होना है। केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से दाल कारोबारियों के लिए मसूर के स्टॉक की नियमित जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है। इससे पहले इसी साल जून में सरकार ने अरहर और उड़द पर स्टॉक लिमिट लगाने की घोषणा की थी।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग ने बुधवार को एक एडवाइजरी जारी कर दाल व्यापारियों, स्टॉकिस्टों और आयातकों के लिए मसूर के स्टॉक की नियमित घोषणा सरकारी पोर्टल (https://fcainfoweb.nic.in/psp) पर करने को अनिवार्य कर दिया है। यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। विभाग ने एक बयान में कहा है कि हर शुक्रवार को सभी हितधारकों को पोर्टल पर मसूर के स्टॉक की घोषणा करनी होगी। अगर घोषित स्टॉक से ज्यादा पाया जाता है तो उसे जमाखोरी माना जाएगा और आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने साप्ताहिक मूल्य समीक्षा बैठक के दौरान विभाग को मसूर की बफर खरीद को व्यापक बनाने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य एमएसपी के आसपास कीमतों पर उपलब्ध स्टॉक की खरीद करना है। यह ऐसे समय में हुआ है जब नेफेड और एनसीसीएफ को कार्टेलाइजेशन के संकेतों के बीच कुछ आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त अत्यधिक ऊंची बोलियों के कारण आयातित दाल खरीदने के लिए अपनी निविदाएं निलंबित करनी पड़ीं।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे समय में जब कनाडा से मसूर का और अफ्रीकी देशों से तुअर का आयात बढ़ रहा है, कुछ कारोबारी बाजार में हेरफेर करने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रही है और स्टॉक को बाजार में उतारने के लिए कड़े कदम उठाएगी ताकि त्योहारी सीजन में उचित कीमतों पर सभी के लिए दालों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
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उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के साथ-साथ किसानों के हितों को भी संतुलित रखना सर्वोपरि है। उपभोक्ताओं और किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।