केंद्र सरकार चालू सीजन में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में धान की पराली जलाने को पूरी तरह से रोकने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव की सह-अध्यक्षता में दोनों मंत्रालयों की बैठक में राज्यों की तैयारियों की समीक्षा की गई।
बैठक के दौरान राज्यों ने चालू सीजन में पराली जलाने से रोकने के लिए अपनी कार्य योजना और रणनीतियां प्रस्तुत कीं। राज्यों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए प्रदान की गई धनराशि का उपयोग करने, फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनरी को कटाई के मौसम से पहले ही उपलब्ध कराने और धान की पराली जलाने के खिलाफ किसानों में जागरूकता लाने के लिए आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) और अन्य हितधारकों के सहयोग से सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियां चलाने की सलाह दी गई।
इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि पिछले पांच वर्षों से धान की पराली जलाने से रोकने के प्रयासों के अच्छे परिणाम आ रहे हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग जैसी एजेंसियों के ठोस प्रयासों के कारण पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। धान की पराली के प्रबंधन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। बिजली, बायोमास आदि उद्योगों के लिए इसका इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में किया जा सकेगा।
बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने धान की पराली जलाने के मुद्दे के समाधान में दिखाई गई गंभीरता के लिए सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के प्रयासों से धान की पराली जलाने की घटनाओं में लगातार कमी आ रही है। हालांकि, पराली जलाने का संबंध सिर्फ दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के प्रदूषण से नहीं है। यह मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता पर प्रतिकूल प्रभाव डालकर कृषि भूमि पर भी हानिकारक प्रभाव डाल रहा है। इसलिए हमारे प्रयास दिल्ली में वायु प्रदूषण से लड़ने और मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए होने चाहिए ताकि किसानों के हितों की रक्षा हो सके।
चालू सीजन में शून्य पराली जलाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। इसके लिए केंद्र सरकार चारों राज्यों को सीआरएम योजना के तहत पर्याप्त धनराशि मुहैया करा रही है। राज्यों को समय पर किसानों को मशीन मुहैया करवा कर उनके उचित उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। मशीनों के समुचित उपयोग और बायो-डीकंपोजर के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तर पर उचित निगरानी की आवश्यकता है। पूर्व-स्थिति प्रबंधन के माध्यम से व्यावसायिक उद्देश्य के लिए धान की पुआल का उपयोग करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। विभिन्न तंत्रों के माध्यम से पराली जलाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान को तेज करने और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियों (एटीएमए) का पूरी क्षमता से उपयोग करने की आवश्यकता है।
इस उच्च स्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पंजाब के कृषि मंत्री गुरुमीत सिंह खुडियन, हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल, हरियाणा और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय मौजूद थे। साथ ही दोनों केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित चारों राज्यों और आईसीएआर के अधिकारी मौजूद थे।