केंद्र सरकार जल्द ही किसानों से रबी प्याज की खरीद शुरू करने जा रही है। सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को बफर स्टॉक के लिए सीधे किसानों से 5 लाख टन प्याज की खरीद शुरू करने को कहा है। रबी की प्याज मंडियों में आनी शुरू हो गई है। प्याज निर्यात पर जारी प्रतिबंध के कारण किसानों की चिंताओं को देखते हुए इस साल सरकार प्याज खरीद जल्द शुरू करने जा रही है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि अगले दो-तीन दिनों में 5 लाख टन रबी प्याज की खरीद शुरू कर देंगे। आमतौर पर सरकार बफर स्टॉक के लिए प्रचलित मंडी भाव पर प्याज खरीदते हैं। अगर प्याज के भाव किसानों की लागत से भी नीचे चले जाते हैं तो सुनिश्चित करेंगे कि कम से कम किसानों की लागत निकल जाए। किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध से व्यापारियों पर असर पड़ रहा है, न कि किसानों पर। महाराष्ट्र में प्याज की औसत मंडी (थोक) कीमतें फिलहाल 13-15 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जो पिछले वर्ष से लगभग दोगुनी हैं। फिर भी, सरकार ने हस्तक्षेप करने का फैसला किया ताकि किसानों को नुकसान ना उठाना पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार ने कभी भी लागत से कम कीमत पर किसानों से प्याज नहीं खरीदा। पिछले रबी सीजन में औसतन 17 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर प्याज खरीदा गया था।
देश के वार्षिक प्याज उत्पादन में रबी प्याज का हिस्सेदारी 72-75 फीसदी होता है। खरीफ प्याज की तुलना में रबी प्याज की शेल्फ जीवन लाइफ अधिक है और इसे नवंबर-दिसंबर तक स्टोर किया जा सकता है। इसलिए साल भर प्याज की उपलब्धता बनाए रखने के लिए रबी प्याज महत्वपूर्ण है।
साल 2023-24 में केंद्र सरकार ने बफर स्टॉक के लिए 6.4 लाख टन प्याज (रबी व खरीफ दोनों) की खरीद की थी। पिछले साल जून में प्याज की खरीद शुरू हुई थी लेकिन इस बार खरीद कई महीने पहले ही शुरू हो जाएगी। प्याज खरीद के लिए नेफेड और एनसीसीएफ किसानों का पंजीकरण करेंगे ताकि किसानों को डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खातों में भुगतान किया जा सके।
प्याज की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने खुदरा बिक्री के जरिए हस्तक्षेप का तरीका अपनाया है। एनसीसीएफ, नेफेड, केंद्रीय भंडार और राज्यों की सहकारी संस्थाओं के रिटेल आउटलेट और मोबाइल वैन के माध्यम से पिछले साल 25 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर प्याज की बिक्री की गई थी। प्याज उत्पादन में गिरावट के अनुमान को देखते हुए सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध को 31 मार्च से आगे बढ़ा दिया है। साथ ही बाजार में प्याज की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन साथ ही यह भी चुनौती है कि किसानों को उपज का उचित दाम मिले।
प्याज उत्पादन में गिरावट
कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, वर्ष 2023-24 में प्याज का उत्पादन लगभग 254.73 लाख टन होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह लगभग 302.08 लाख टन था। प्याज उत्पादन में गिरावट का यह दूसरा साल है। साल 2021-22 में प्याज उत्पादन 316.87 लाख टन था। इस साल रबी सीजन में प्याज उत्पादन 193 लाख टन रहने का अनुमान है जो जो एक साल पहले 236 लाख टन रहा था। पिछले दो साल में प्याज उत्पादन में लगभग 19 फीसदी की गिरावट का अनुमान है।
बफर स्टॉक 25 हजार टन बचा
केंद्र सरकार ने 2023-24 (अप्रैल-मार्च) सीजन में 6.4 लाख टन प्याज खरीदा था, जिसमें जून में शुरू हुई रबी फसल की 5 लाख टन प्याज भी शामिल थी। इसमें से केवल 25 हजार टन प्याज ही बफर स्टॉक में है, जबकि बाकी मात्रा बाजार में बेची जा चुकी है।
प्याज उपलब्धता बढ़ाने के प्रयास
सरकार प्याज की आपूर्ति-मांग के अंतर को दो तरह से दूर करने के प्रयास कर रही है। एक ओर, विकिरण तकनीक का उपयोग कर प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। वहीं, सरकार खरीफ प्याज की अगेती बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि त्योहारों के दौरान पर्याप्त उपलब्धता रहे।