केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माना बढ़ाकर 30 हजार रुपये किया

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर सख्त रुख अपनाने के बाद केंद्र सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर जुर्माना बढ़ाकर 30 हजार रुपये कर दिया है

दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जुर्माना बढ़ा दिया है। सरकार ने जुर्माना बढ़ाकर अधिकतम 30 हजार रुपये कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर सख्त रुख अपनाने के बाद, केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 6 नवंबर को जारी अधिसूचना के अनुसार, पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले किसानों पर पराली जलाने के लिए 30 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों के लिए जुर्माना बढ़ाकर 5 हजार रुपये कर दिया गया है, जो पहले 2,500 रुपये था। वहीं, दो से पांच एकड़ की कृषि भूमि वाले किसानों पर जुर्माना 10 हजार रुपये कर दिया गया है।

प्रतिकूल मौसम, पराली जलाने, वाहनों के धुएं, दिवाली पर पटाखे फड़ने से होने वाले प्रदुषण और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के कारण सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं के कारण 1 से 15 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण अपने चरम पर होता है।

पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर काम करने वाली संस्था क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं। हरियाणा में 2019 में आग की घटनाएं 14,122 थीं, जो 2023 में घटकर 7,959 रह गईं। इसी तरह, पंजाब में 2020 में 95,048 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो 2023 में घटकर 52,722 हो गईं। रिपोर्ट कहती है कि पंजाब और हरियाणा में आग की घटनाओं में कमी के बावजूद, सितंबर से दिसंबर के बीच इनका असर अब भी दिल्ली की हवा पर पड़ता है।

क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिसर्च लीड, डॉ. पलक बालियान के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए केवल पराली जलाना ही कारण नहीं है, बल्कि यह प्रदूषण के कई कारणों में से एक है। धान की कटाई के बाद, ठंड बढ़ने के साथ पराली जलाने से दिल्ली का वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। हाल के वर्षों में हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, जिससे पता चलता है कि किसान पराली प्रबंधन को लेकर जागरूक हुए हैं। डॉ. पलक बालियान का कहना है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए अन्य कारणों, जैसे वाहनों से निकलने वाला धुआं और निर्माण की धूल को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।