अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा की वजह से इस साल सितंबर में भारत से काजू का निर्यात घटकर 2.27 करोड़ डॉलर रह गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल नवंबर से काजू का निर्यात घट रहा है और पिछले 11 महीनों में 38 फीसदी कम हो गया है। केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक भारत के प्रमुख काजू उत्पादक राज्य हैं जहाँ से लगभग 80 देशों में काजू का निर्यात किया जाता है। काजू के प्रमुख आयातक देश अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, सऊदी अरब, जर्मनी, जापान, बेल्जियम, कोरिया, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन, कुवैत, सिंगापुर, कतर, ग्रीस, इटली, ईरान और कनाडा हैं।
जब से अफ्रीकी देशों ने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अफ्रीकी काजू गठबंधन' बनाया है तब से भारतीय निर्यातकों को विशेष रूप से अफ्रीकी देश गुयाना, मोजाम्बिक,तंजानिया और आइवरी कोस्ट सहित कई देश कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के दौरान निर्यात काजू का निर्यात 25.16 फीसदी घटकर 11.3 करोड़ डॉलर रह गया। आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में निर्यात 34 फीसदी, मई में करीब 30 फीसदी, जून में करीब 6 फीसदी, जुलाई में 26.62 फीसदी और अगस्त में 31.5 फीसदी घट गया।
भारतीय काजू उद्योग विभिन्न ग्रेड और उत्पादों का निर्यात करता है। इस संबध में कर्नाटक काजू मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष तुकाराम प्रभु ने कहा कि 'विशेष कृषि और ग्राम उद्योग योजना' के तहत निर्यात प्रोत्साहन को वापस लेने से भी आउटबाउंड शिपमेंट प्रभावित हो रहा है। प्रभु ने कहा कि वर्तमान में हमारे पास शिपमेंट में बढ़ोतरी के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं कर रहा है, हालांकि वैश्विक बाजारों में अच्छी मांग है। हमारी गुणवत्ता वियतनामी काजू की तुलना में काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि काजू का उत्पादन करना एक मेहनत भरा कार्य है। उन्होंने सरकार से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात प्रोत्साहन बढ़ाने पर विचार करने का आग्रह किया। उनके अनुसार, भारत का खाद्य काजू उत्पादन प्रति वर्ष 3.5 लाख टन से 3.70 लाख टन होता है।
केरल के एक काजू निर्यातक ने कहा कि काजू की घरेलू कीमतें निर्यात मूल्य से 15 फीसदी ज्यादा हैं इसलिए व्यापारी निर्यात करना पसंद नहीं कर रहे हैं। निर्यातक का कहना है कि काजू के निर्यात और मांग की कमी बहुत गंभीर मुद्दा नही है। इसमें सबसे मुख्य कारण भारत में काजू की प्रोसेसिंग में ज्यादा लागत का आना है। वियतनाम एक प्रमुख काजू निर्यातक देश है उसकी तुलना में हमारे देश में प्रोसेसिंग लागत चार गुना से अधिक है क्योंकि वह इसकी प्रोसेसिंग में मशीनों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन हमारे यहां अभी भी ज्यादातर चीजें कामगारों के जरिये हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि मोटे तौर पर भारत में काजू की प्रोसेसिंग की लागत लगभग 3,600 रुपये प्रति बैग है। एक बैग 80 किलोग्राम होता है जबकि वियतनाम में यह लागत करीब 800 रुपये प्रति बैग है। थोक बाजार में काजू की घरेलू कीमतें करीब 630 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जबकि निर्यात मूल्य करीब 560 रुपये प्रति किलोग्राम है।