टूटे चावल के निर्यात को सरकार ने शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। आयातक देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए यह मंजूरी दी गई है। सरकार की ओर से जारी एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी गई है। टूटे चावल के सामान्य निर्यात पर प्रतिबंध है जो पिछले साल 9 सितंबर को लगाया गया था।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दूसरे देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर और उनकी सरकार के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी। पिछले साल 9 सितंबर को सरकार ने बढ़ती खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा गैर-बासमती चावल के निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाया था।
हालांकि, बासमती चावल और पार-बॉयल्ड (सेला) चावल का निर्यात शुल्क मुक्त है और इसके निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। टूटे चावल का निर्यात चीन और इंडोनेशिया को ज्यादा किया जाता है जहां फीड के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मगर अफ्रीकी देशों में भोजन के लिए इसका उपयोग होता है।
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पिछले साल करीब दर्जन भर राज्यों में कम बारिश के चलते धान का रकबा घटा था। इससे धान की फसल प्रतिकूल असर पड़ा था। इसे देखते हुए ही सरकार ने निर्यात को प्रतिबंधित करने और निर्यात पर ड्यूटी लगाने का फैसला किया था। हालांकि, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि उत्पादन सीजन 2022-23 में रिकॉर्ड 32.8 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा था।
चीन के बाद भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक देश है। वित्त वर्ष 2021-22 में देश से 212 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था जो विश्व के कुल चावल निर्यात के 40 फीसदी के बराबर है।