केंद्रीय बजट से पहले कांग्रेस ने केंद्र सरकार से किसानों के लिए तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं करने की मांग की। कांग्रेस ने कहा कि बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने, स्वामीनाथन फार्मूले के आधार पर एमएसपी तय करने और किसानों के लिए कर्जमाफी करने की जरूरत है।
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा कि आगामी बजट में केंद्र सरकार को एमएसपी के अंतर्गत आने वाली 22 फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि करनी चाहिए और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप C2+50 फीसदी के फॉर्मूले के अनुरूप एमएसपी तय करने चाहिए।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से एमएसपी को कानूनी दर्जा देकर इसे मजबूती से लागू करने के लिए एक प्रणाली विकसित करने की मांग की है जिसमें रणनीतिक खरीद, बेहतर विनियमन और मूल्य अंतर मुआवजा शामिल है। जयराम रमेश ने किसान की कर्जमाफी की मांग करते हुए इसकी आवश्यकता का आकलन करने और कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्थायी आयोग बनाने का सुझाव दिया। ताकि कर्ज में डूबे किसानों को राहत मिल सके।
एमएसपी कमेटी पर सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए जयराम रमेश ने कहा, "नवंबर 2021 में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद, प्रधानमंत्री ने एमएसपी से संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी। सरकार को समिति गठित करने में आठ महीने लगे और दो साल बाद भी अभी तक कोई अंतरिम रिपोर्ट जारी नहीं की है। अगर सरकार चाहती तो अब तक एमएसपी को कानूनी दर्जा मिल जाता।"
जयराम रमेश ने कहा कि तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने राज्य के किसानों के कृषि ऋण माफ करना शुरू कर दिया है, जिससे कुल 40 लाख किसानों को 2 लाख रुपये तक के कर्ज पर राहत मिलेगी। उन्होंने यूपीए सरकार के 2008 में 72,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफी का उदाहरण भी दिया। रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये के बैंक ऋण माफ किए हैं, लेकिन किसानों के कृषि ऋण का एक भी रुपया माफ नहीं किया।
यूपीए सरकार में बढ़ा ज्यादा एमएसपी
केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए जयराम रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार की तमाम विफलताओं में से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की अक्षमता और दुर्भावना सबसे अधिक नुकसानदायक रही है। जहां यूपीए ने गेहूं की एमएसपी 119 फीसदी और धान की एमएसपी में 134 फीसदी बढ़ाई थी, वहीं मोदी सरकार ने इसे क्रमशः 47 फीसदी और 50 फीसदी बढ़ाया है। यह महंगाई और कृषि इनपुट की बढ़ती कीमतों के हिसाब से बिलकुल भी लिए पर्याप्त नहीं है। आधे से ज्यादा किसान कर्ज में डूबे हैं। एनएसएसओ के अनुसार, 2013 के बाद से बकाया ऋण में 58% की वृद्धि हुई है। 2014 से अब तक 1 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है।