चुनावी साल में महंगाई पर अंकुश लगाने की सरकार की कोशिशें किसानों पर भारी पड़ रही हैं। प्याज उत्पादक महाराष्ट्र की थोक मंडियों में प्याज के दाम एक महीने में घटकर लगभग एक तिहाई रह गए हैं, जिससे किसानों की लागत निकलना भी मुश्किल है। विपक्षी दल प्याज निर्यात के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरने में जुटे हैं।
इस बीच, उम्मीद है कि सरकार प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने पर विचार कर सकती है। पिछले एक महीने के दौरान प्याज के खुदरा और थोक दाम औसतन 30-35 फीसदी तक गिर चुके हैं। प्याज उत्पादक इलाकों की कृषि मंडियों में यह गिरावट और भी ज्यादा है। प्याज की महंगाई से उपभोक्ताओं को तो राहत मिली है लेकिन किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
महाराष्ट्र में शेतकरी संगठन के नेता अनिट घनवट ने रूरल वॉयस को बताया कि प्याज निर्यात पर पाबंदियों और प्रतिबंध लगने से किसानों को लगभग 3000 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान पहुंचा है। देश के प्याज उत्पादक किसानों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आम तौर पर प्याज के निर्यात पर अक्टूबर से दिसंबर के बीच रोक लगती है और नई फसल आने पर निर्यात शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार सरकार ने दिसंबर से मार्च तक रोक लगाकर किसानों की पूरे सीजन की कमाई पर पानी फेर दिया। क्योंकि खरीफ के प्याज को अधिक दिनों तक स्टोर नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आवक बढ़ने से प्याज के दाम और भी नीचे जा सकते हैं। इसलिए निर्यात पर लगी रोक हटाना बेहद जरूरी है।
प्याज के मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई हुई है। लोकसभा चुनाव से पहले सरकार किसानों की नाराजगी को देखते हुए निर्यात खोलने पर विचार कर सकती है। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से प्याज के खुदरा दाम तो काबू में है लेकिन आवक बढ़ने से कृषि मंडियों में प्याज के दाम तेजी से गिरे हैं। उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर प्याज मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने 2023 के खरीफ सीजन में अब तक 25 हजार टन प्याज की खरीद की है। सरकार ने प्याज के बफर स्टॉक के लक्ष्य को बढ़ाकर 7 लाख टन कर दिया है। यह खरीद नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से की जाएगी। इस लक्ष्य के मुकाबले अभी तक करीब 5.3 लाख टन प्याज की खरीद हो चुकी है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह का कहना है कि निर्यात पर प्रतिबंध और बाजार हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप प्याज की औसत खुदरा कीमतें एक महीने में 59 रुपये से घटकर 39 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। पिछले एक महीने में औसत थोक कीमतें भी करीब 35 फीसदी घटी हैं। सरकार प्याज की मांग, आपूर्ति और उपलब्धता की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है।
प्याज के गिरते भाव और गरमाई राजनीति के मद्देनजर सरकार सहकारी संस्थाओं के जरिए प्याज निर्यात का रास्ता खोल सकती है। कई देशों में प्याज की मांग है जिसे भारत निर्यात के जरिए पूरा कर सकता है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए 17 अगस्त को प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी थी। इसके बाद प्याज के निर्यात पर 800 डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगा दिया था। यह भी नाकाफी लगा तो सरकार ने 7 दिसंबर को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।