सेब उत्पादकों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने सेब के सस्ते आयात पर रोक लगा दी है। अब 50 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले सेब का आयात नहीं हो सकेगा। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और उत्तराखंड के सेब उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी। विदेशों से सस्ते आयात के चलते घरेलू उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था और वे लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस संबंध में सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना में कहा गया है कि 50 रुपये किलो से कम कीमत वाले सेब का आयात प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस कीमत में मूल्य, इंश्योरेंस और मालभाड़ा (सीआईएफ) भी शामिल है। हालांकि भूटान से आयात को इससे छूट दी गई है। इस छूट से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि भूटान से आयात महंगा है।
अभी सेब के आयात पर 50 फीसदी शुल्क है और सेब उत्पादकों के संगठन इसे बढ़ाकर 100 फीसदी करने की मांग कर रहे थे। सस्ते सेब का ज्यादातर आयात ईरान से हो रहा था। ईरानी सेब का औसतन आयात मूल्य 20-25 रुपये प्रति किलो था। इस पर 50 फीसदी आयात शुल्क लगाने के बावजूद देश में यह 30-33 रुपये प्रति किलो पर आ रहा था। इसके अलावा साफ्टा (साउथ एशियन फ्री ट्रेड कंट्रीज) के जरिये होने वाले अवैध आयात पर भी इससे रोक लगेगी। अफगानिस्तान के नाम पर भारी मात्रा में ईरानी सेब पाकिस्तान होते हुए बिना आयात शुल्क के भारत पहुंचता था। इससे घरेलू बागवानों को काफी नुकसान हो रहा था और उन्हें उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिल पा रही थी।
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अमेरिका, ईरान, ब्राजील, यूएई, अफगानिस्तान, फ्रांस, बेल्जियम, चिली, इटली, तुर्की, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और पोलैंड जैसे देशों से सेब का भारत में आयात होता है। आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 के 11 महीनों (अप्रैल-फरवरी) में 29.6 करोड़ डॉलर मूल्य के सेब का आयात हुआ है। 2021-22 में सेब का कुल आयात 38.5 करोड़ डॉलर का रहा था। 2022-23 में दक्षिण अफ्रीका से आयात में 84.8 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि हुई है और इसका मूल्य बढ़कर 1.853 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है। इसी तरह पोलैंड से होने वाले आयात में भी इस दौरान 83.36 फीसदी की तेज बढ़ोतरी हुई और यह 1.539 करोड़ डॉलर रहा है।