भारतीय सरसों की जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) किस्म को उगाने के लिए आस्ट्रेलिया की सरकार ने मंजूरी दे दी है। आस्ट्रेलिया के जीन टेक्नोलॉजी नियामक, ऑफिस ऑफ जीन टेक्नोलॉजी रेगुलेटर (ओजीटीआर-OGTR) ने भारतीय सरसों की जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम-GM) हर्बिसाइड टॉलरेंस (एचटी) किस्म के कमर्शियल रिलीज को स्वीकृति दी है। आस्ट्रेलिया सरकार ने 19 अक्तूबर, 2022 को ओजीटीआर द्वारा इसके लिए लाइसेंस जारी करने के फैसले को सार्वजनिक किया। इसके मुताबिक बहुराष्ट्रीय कंपनी बीएएसएफ (BASF) आस्ट्रेलिया एलटीडी को जीएम भारतीय सरसों (जीएम इंडियन मस्टर्ड) के कमर्शियल रिलीज का लाइसेंस दिया गया है। जीन टेक्नोल़ॉजी रेगुलेटर ने डीआईआर 190 बीएएसएफ आस्ट्रेलिया एलटीडी को लाइसेंस जारी किया है, जिसके तहत उसे भारतीय सरसों की जेनेटिकली मोडिफाइड और हर्बिसाइड टॉलरेंस किस्म के कमर्शियल रिलीज के लिए अधिकृत किया गया है।
असल में सरसों के पौधे का मूल भारत है। इसीलिए इसे इंडियन मस्टर्ड (Indian Mustard) कहा जाता है। भारतीय सरसों की जीएम किस्म के कमर्शियल रिलीज का यह दुनिया का पहला मामला है। रिलीज की गई सरसों की प्रजाति इंडियन मस्टर्ड "ब्रैसिका जोंसिया" (Brassica Juncea) के नाम से जानी जाती है। इसकी हर्बिसाइड टालरेंस मेल फर्टिलिटी रेस्टोरेशन तकनीक पर आधारित किस्म को लाइसेंस मिला है। बीएएसएफ आस्ट्रेलिया द्वारा विकसित भारतीय सरसों की जीएम किस्म की लाइन आरएफ3 को एसीएएस बीएनओओ3-6 इवेंट के जरिये मोडिफाइ कर इसे ग्लूफोसिनेट खरपतवारनाशक (हर्बिसाइड) के लिए टॉलरेंट बनाया गया है। इस किस्म की फसल में खरपतावर पर नियंत्रण करने के लिए ग्लूफोसिनेट अमोनियम का छिड़काव किया जाता है तो फसल को कोई नुकसान नहीं होगा। इसका मकसद किसानों को खरपतवारनाशक के जरिये खरपतवार नियंत्रित करने की सुविधा देना है।
सरसों के तेल की खासियत उसका तीखापन (पंजंसी) है। यह अन्य खाद्य तेलों में नहीं होता है। यहां तक कि सरसों की जेनेटिक फैमिली में शुमार होने वाले कैनोला (Canola) के तेल में भी यह खासियत नहीं होती है। भारत में सरसों के तेल की इसी खासियत के चलते इसकी खपत अधिक होती है। यही नहीं, दुनिया के दूसरे देशों में भी इस खासियत की वजह से ही इसे पसंद किया जाता है। ऐसे में आस्ट्रेलिया में भारतीय सरसों की हाइब्रिड हर्बिसाइड टालरेंस जीएम किस्म की कमर्शियल रिलीज का मतलब है कि आने वाले दिनों में आस्ट्रेलिया इसके बाजार में बड़ा हिस्सा हासिल कर सकता है। इसमें भारतीय बाजार की संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता है।
बीएएसएफ को जारी लाइसेंस में कहा गया है कि कंपनी इस किस्म को कमर्शियल रूप से पूरे आस्ट्रेलिया में जारी करने लिए अधिकृत है। लाइसेंस के मुताबिक बीएएसएफ आस्ट्रेलिया लिमिटेड की जीएम इंडियन मस्टर्ड को हर्बिसाइड टालरेंस के लिए मोडिफाइ किया गया है। इसे पूरे आस्टेलिया में उगाने की अनुमति होगी लेकिन कुछ राज्यों और क्षेत्रों में मार्केटिंग कारणों के चलते इस पर प्रतिबंध रहेगा। भारतीय सरसों का आस्ट्रेलिया में सेंट्रल साउथ वेल्स और वेस्टर्न विक्टोरिया में मुख्य रूप से कमर्शियल उत्पादन होता है।
आस्ट्रेलिया सरकार के रेगुलेटर ने कहा है कि जीएम भारतीय सरसों और इससे बनने वाले उत्पाद (खाद्य तेल) मानव खाद्य उपभोग और पशुओं के फीड (खली), सभी तरह से जनरल कामर्स के लिए उपयोग किये जा सकते हैं। लाइसेंस पर फैसला लेने के लिए रिस्क असेसमेंट एंड रिस्क मैनेजमेंट (आरएआरएमपी-RARMP) को लेकर ओजीटीआर ने राष्ट्रीय स्तर पर सभी संबंधित पक्षों की राय को ध्यान में रखा है। इसमें आम जनता, राज्य और क्षेत्रीय सरकारों, स्थानीय निकायों, आस्ट्रेलियन सरकार की एजेंसियों पर्यावरण मंत्रालय और जीन टेक्नोलॉजी टेक्नीकल एडवाइजरी कमेटी की राय ली गई। इसके आधार मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर जोखिम से जुड़े मसलों पर बात हुई, जिसके बाद आरएआरएमपी ने पाया कि जीएम सरसों के कमर्शियल रिलीज से मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा व पर्यावरण को नहीं के बराबर जोखिम है। रिलीज पर निगाह रखने के लिए जनरल लाइसेंस शर्तें लागू होंगी।
साउथ एशिया बॉयोटेक के फाउंडर डायरेक्टर भगीरथ चौधरी ने रूरल वॉयस को बताया कि आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में जीएम कैनोला का उत्पादन होता है। कैनोला सरसों की जेनेटिक फैमिली से आने वाला प्लांट है जिसे "ब्रैसिका नेपस" के नाम से जाना जाता है। कैनोला की हर्बिसाइड टालरेंस और पोलीनेशन कंट्रोल से संबंधित इवेंट के जरिये विकसित जीएम किस्मों का 1996 से आस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में उत्पादन हो रहा है। चौधरी के मुताबिक कैनोला के खाद्य तेल का इंटरनेशनल मार्केट में काफी बड़ा ट्रेड होता है और भारत में भी कैनोला आयल का करीब पांच लाख टन का आयात होता है, जो जीएम कैनोला से ही निकाला जाता है। इसके अलावा भारत में आयात होने वाले सोयाबीन तेल का बड़ा हिस्सा भी जीएम सोयाबीन से बनता है। ऐसे में आने वाले दिनों में आस्ट्रेलिया में उगाई जाने वाली जीएम भारतीय सरसों का तेल भी यहां आयात किया जा सकता है क्योंकि सरसों के तेल की पंजंसी की खासियत इसे अन्य तेलों से अलग बनाती है और भारत में लोग इसे दूसरे खाद्य तेलों के मुकाबले प्राथमिकता देते हैं।
भारत में जीएम सरसों की किस्म को विकसित किया गया है लेकिन अभी तक इसके कमर्शियल रिलीज को मंजूरी नहीं मिली है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर डॉ. दीपक पेंटल ने जीएम सरसों की किस्म धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 (डीएमएच11) विकसित की है। जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैजल कमेटी (GEAC) ने इस किस्म के कमर्शियल रिलीज पर रिपोर्ट देने के लिए एक सब कमेटी का गठन किया था। रूरल वॉयस ने इस बारे में 17 अक्तूबर, 2022 को एक विस्तृत खबर प्रकाशित की थी, जिसे नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक कर पढ़ा जा सकता है। https://www.ruralvoice.in/national/htbt-cotton-and-gm-mustard-set-to-get-geac-approval-first-for-any-gm-crop-in-twenty-years.html
रूरल वॉयस को मिली जानकारी के मुताबिक सब कमेटी की सिफारिशों पर फैसला लेने के लिए की जीईएसी की पिछले दिनों बैठक होनी थी। हालांकि इसके बारे में अभी तक कोई सूचना सामने नहीं है।