अखिल भारतीय किसान सभा ने उर्वरकों के दाम बढ़ाए जाने की कड़ी आलोचना की है और यह मूल्यवृद्धि तत्काल वापस लेने की मांग की है। डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के दाम में 50 किलो के बैग पर 150 रुपए की वृद्धि की गई है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (एनपीके) उर्वरक की कीमत 285 रुपए प्रति बैग बढ़ाई गई है।
सभा की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि उर्वरकों के दाम बढ़ने के साथ किसानों के इस्तेमाल की अन्य चीजों- डीजल, पेट्रोल, बीज और कीटनाशक के दाम भी बढ़ाए गए हैं। सभा का आरोप है कि यह शासक वर्ग का एजेंडा है जो खेती को नुकसानदायक बनाकर किसानों को उनकी जमीन से अलग करना चाहता है।
सभा के अध्यक्ष अशोक धवले और महासचिव हन्नान मोल्ला की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि विकास के नियो-लिबरल मॉडल का नतीजा है कि उर्वरक उत्पादन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को एक-एक कर खत्म किया जा रहा है। उर्वरक उत्पादन में निजी पूंजी का प्रवेश कराया गया है।
सभा के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार ने उर्वरकों की कम कीमत पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने में लगातार असंवेदनशीलता दिखाई है। यह बड़ी बिडंबना है कि सत्ता हथियाने के लिए जो भाजपा अति-राष्ट्रवाद का प्रदर्शन करती रहती है, वह खाद्य सुरक्षा के साथ समझौता कर रही है। किसान विरोधी उर्वरक नीति अपनाकर वह देश की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रही है।
इसने कहा है कि 2009-10 में डीएपी की कीमत 9,350 रुपए प्रति टन थी, जो अब 27,000 रुपए प्रति टन हो गई है। सभा ने उर्वरकों के दाम में वृद्धि तत्काल वापस लेने की मांग की है। सभा ने हरियाणा में सरकार के इस कदम का विरोध करने वाले किसानों का समर्थन भी किया है।