केंद्र सरकार की ओर से हाल में घोषित डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन सहित 14 हजार करोड़ रुपये की सात योजनाओं को लेकर किसान संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने डिजिटलीकरण को कृषि के कॉरपोरेटकरण की सोची-समझी साजिश और किसानों की आजीविका के लिए खतरा करार दिया है। किसान सभा का कहना है कि भारतीय किसानों का बड़ा हिस्सा छोटे, सीमांत, भूमिहीन और बटाईदार किसान हैं। यदि इन्हें बड़े बिजनेस के तहत डिजिटलीकरण में शामिल किया जाएगा, तो बड़े कॉरपोरेट पूरे कृषि उत्पादन पर हावी हो सकते हैं और कृषक वर्ग की आजीविका को बर्बाद कर सकते हैं।
अखिल भारतीय किसान सभा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि कृषि आय को “बढ़ाने” के नाम पर यह परियोजना ऐसे समय आ रही है, जब मोदी सरकार का “किसानों की आय दोगुनी करना” का दावा पूरी तरह नाकाम हो चुका है। मोदी सरकार की कॉरपोरेट समर्थक और किसान विरोधी नीतियां विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश और काले कृषि कानूनों में उजागर हो चुकी हैं। किसानों के आंदोलन ने इन्हें वापस लेने पर मजबूर किया था।
एआईकेएस के अध्यक्ष अशोक ढवले ने कहा कि सत्ताधारी दल को समझ आ गया है कि किसान वर्ग कृषि के कॉरपोरेटकरण के एजेंडे के आगे नहीं झुकेगा। इसलिए जमीनी हकीकत और गंभीर असमानताओं को ध्यान में रखे बगैर लुभावनी योजनाओं की घोषणा की जा रही है। इन योजनाओं से कॉरपोरेट और अन्य निहित स्वार्थों को लाभ पहुंचेगा। जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी के चलते ऐसा करने में मदद मिलेगी।
एआईकेएस के महासचिव विजू कृष्णन का कहना है कि भारतीय कृषि के डिजिटलीकरण की बहुप्रचारित परियोजना पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय वित्त पूंजी की मांगों के अनुरूप है। विश्व बैंक मॉडल में किसानों का अधिक से अधिक डेटा प्राप्त कर डिजिटल कॉरपोरेशन का प्रभाव बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। कृषि अनुसंधान के “आधुनिकीकरण” की घोषित योजना में केंद्र सरकार की मुक्त बाजार की मंशा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इससे सार्वजनिक निवेश में कमी आएगी और भारतीय कृषि के अनुसंधान एजेंडे पर डिजिटल और कृषि कॉरपोरेट्स का प्रभाव बढ़ेगा। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के साथ कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के समझौते और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने बजट भाषण में निजी अनुसंधान को सार्वजनिक वित्त पोषण की पेशकश की घोषणा के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
अखिल भारतीय किसान सभा ने किसानों को आगाह किया है कि वे भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की कृषि के कॉरपोरेटकरण की साजिशों से सावधान रहें और एकजुट होकर कॉरपोरेट समर्थक नीतियों का मुकाबला करें। एआईकेएस ने केंद्र सरकार से कृषि में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने, गारंटीशुदा खरीद के साथ सी2+50% पर एमएसपी सुनिश्चित करने, सभी कृषि इनपुट पर जीएसटी हटाने, छोटे और मध्यम किसानों व कृषि मजदूरों को प्राथमिकता देकर किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की है।