अखिल भारतीय किसान सभा ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर शुल्क कटौती वापस लेने की मांग की

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने काबुली चना, मसूर, बादाम, अखरोट और सेब सहित विभिन्न अमेरिकी उत्पादों के आयात पर केंद्र सरकार द्वारा शुल्क में दी गई छूट को वापस लेने की मांग की है। एआईकेएस ने एक बयान में कहा कि भारत और अमेरिका ने जून में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में लंबित व्यापार विवादों को हल करने का फैसला किया था, लेकिन विवाद सुलझाने के नाम पर नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय किसानों के हितों का आत्मसमर्पण कर दिया है।

काबुली चना, मसूर, बादाम, अखरोट और सेब सहित विभिन्न अमेरिकी उत्पादों के आयात पर भारत ने शुल्क कटौती की है।

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने काबुली चना, मसूर, बादाम, अखरोट और सेब सहित विभिन्न अमेरिकी उत्पादों के आयात पर केंद्र सरकार द्वारा शुल्क में दी गई छूट को वापस लेने की मांग की है। एआईकेएस ने एक बयान में कहा कि भारत और अमेरिका ने जून में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में लंबित व्यापार विवादों को हल करने का फैसला किया था, लेकिन विवाद सुलझाने के नाम पर नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय किसानों के हितों का आत्मसमर्पण कर दिया है।

काबुली चना, मसूर, बादाम, अखरोट और सेब सहित कुछ अमेरिकी उत्पादों पर भारत द्वारा की गई शुल्क कटौती का उल्लेख करते हुए एआईकेएस ने पॉल्ट्री, सेब, नट्स और दाल सहित विभिन्न अमेरिकी कृषि वस्तुओं के आयात पर की गई टैरिफ कटौती को तत्काल वापस लेने की मांग की।

एआईकेएस ने कहा है कि शुल्कों में की गई ये कटौतियां दर्शाती है कि भारत सरकार किसानों की कीमत पर अमेरिका की इच्छा पूर्ति कर रही है। इससे लाभकारी आय की भारतीय किसानों की जरूरत को धक्का लगेगा और भारतीय बाजार अमेरिका के सस्ते कृषि उत्पादों से पट जाएगा। शुल्कों में और अधिक कटौती से भारतीय सेब उत्पादकों के लिए स्थिति और भी विकट हो जाएगी। भारत में पिछले कुछ समय में मसूर व अन्य दालों के उत्पादन में गिरावट देखी गई है। शुल्कों में कटौती से भारत के छोटे और सीमांत दाल उगाने वाले किसानों को भारी नुकसान होगा।

बयान के मुताबिक, एआईकेएस ने यह भी मांग की है कि सरकार को कृषि में मुक्त व्यापार समझौते में प्रवेश नहीं करना चाहिए। यह भारतीय किसानों के लिए हानिकारक होगा। एआईकेएस ने कृषि को डब्ल्यूटीओ के कृषि समझौते से बाहर लाने की लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराया है। बयान में कहा गया है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ अपने फायदे के मुताबिक समझौता करने के लिए विकासशील देशों के खिलाफ मामले उठाने को डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटारा तंत्र का उपयोग करने के लिए जाना जाता है।

इसी साल जून में अमेरिका और भारत डब्ल्यूटीओ में छह लंबित विवादों को सुलझाने पर सहमत हुए। इसके तहत भारत काबुली चना, मसूर, बादाम, अखरोट, सेब, बोरिक एसिड और डायग्नोस्टिक अभिकर्मकों सहित कुछ अन्य अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम करने पर सहमत हुआ। एआईकेएस देश का सबसे बड़ा किसान संगठन है।