वर्ष 2023 के दौरान कृषि जिंसों के दामों में औसतन सात फीसदी कमी का अनुमान है। अगले दो वर्षों के दौरान देखा जाए तो 2024 में कृषि जिंसों के दाम दो फीसदी और 2025 में भी इतना ही कम होने के आसार हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने 28 दिसंबर को जारी फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में यह बात कही है। इसमें कहा गया है सप्लाई बढ़ने के कारण कृषि जिंसों की कीमतों में यह गिरावट आएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के फूड प्राइस इंडेक्स में वर्ष 2022 के मध्य से नरमी देखने को मिल रही है। नवंबर 2023 में इसमें सालाना आधार पर 10.7 प्रतिशत की गिरावट आई। सप्लाई बढ़ने पर आगे भी गिरावट जारी रहने का अनुमान है।
अल नीनो खाद्य कीमतों के लिए चुनौती
रिपोर्ट के अनुसार मध्य पूर्व में युद्ध का कमोडिटी की कीमतों पर सीमित असर पड़ा है। इससे पता चलता है कि मांग और आपूर्ति का संतुलन बेहतर हुआ है। हालांकि कृषि उत्पादन पर अल नीनो का असर अभी पूरी तरह दिखना बाकी है। घरेलू स्तर पर अल नीनो का प्रभाव कृषि उत्पादन और खाद्य कीमतों के लिए चुनौती पैदा कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में दाम कम हुए हैं तथा घरेलू स्तर पर बेहतर सप्लाई मैनेजमेंट से खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
आरबीआई की रिपोर्ट में दूसरी कमोडिटी के बारे में भी बताया गया है। इसके मुताबिक हाल के महीनों में कमोडिटी के दाम में कमी को मध्य पूर्व में लड़ाई और वैश्विक स्तर पर हो रहे ध्रुवीकरण से चुनौती मिल रही है। हालांकि अभी इनका असर सीमित है, लेकिन अगर युद्ध का दायरा बढ़ा तो कमोडिटी के दाम बढ़ सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के दौरान और रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर सप्लाई चेन में रुकावटें बढ़ गई थीं। लेकिन इसमें सुधार के बाद ग्लोबल सप्लाई चेन प्रेशर इंडेक्स 26 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया।
ग्रामीण महंगाई ज्यादा, मांग पर असर संभव
रिपोर्ट में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की मांग का भी आकलन किया गया है। इसमें कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में महंगाई ज्यादा है। हाल के महीनों में यह ट्रेंड देखने को मिला है। इसका ग्रामीण क्षेत्रों की मांग पर असर हो सकता है।
खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने के कारण जुलाई 2023 में महंगाई दर 7.4 फीसदी पर पहुंच गई थी। उसके बाद धीरे-धीरे यह चार फीसदी के मध्यम अवधि के लक्ष्य की ओर आ रही है। नवंबर 2023 में यह 5.6 फीसदी थी, लेकिन इसे खाद्य कीमतों में वृद्धि का झटका लगने का डर है।
बैंक कर्ज के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र को बैंक कर्ज इस सेक्टर के प्रदर्शन के अनुरूप ही रहता है। हाल में कृषि क्षेत्र की ग्रोथ कमजोर रही है। इसके साथ कृषि कर्ज का एनपीए बनना भी बढ़ा है। हाल में कृषि क्षेत्र के एनपीए में कुछ गिरावट आई है, फिर भी इसका स्तर ऊंचा है।