वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि जीवीए वृद्धि 3.5 फीसदी रहने का अनुमान: इक्रा

रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) वृद्धि दर बढ़कर 3.5 फीसदी पर रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में यह दो फीसदी पर रही थी।

कृषि और सहयोगी क्षेत्र के लिए चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में यह दो फीसदी रही थी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) की रिपोर्ट के अनुसार जीवीए की वृद्धि दर में यह सुधार खरीफ बुवाई में अनुकूल रुझानों और खरीफ खाद्यान्न उत्पादन में अनुमानित 5.7 फीसदी की वृद्धि के कारण होगा। हालांकि, कृषि क्षेत्र के इस प्रदर्शन में सुधार के बावजूद, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो इसकी पहली तिमाही में 6.7 फीसदी रही थी। वहीं दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की जीवीए वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान जो पहली तिमाही में 6.8 फीसदी रही थी।   

रिपोर्ट के अनुसार, जीडीपी और जीवीए वृद्धि दर में यह गिरावट मुख्य रूप से कमजोर औद्योगिक प्रदर्शन के कारण देखने को मिलेगी। औद्योगिक जीवीए वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में पहली तिमाही के 8.3 प्रतिशत से घटकर 5.5 फीसदी पर रहने का अनुमान है। इसके विपरीत, सर्विस सेक्टर में मांग में सुधार के कारण जीवीए वृद्धि पहली तिमाही के 7.2 फीसदी से बढ़कर 7.8 प्रतिशत पर रहने की संभावना है।

इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट, हेड-रिसर्च एंड आउटरीच, अदिति नायर ने कहा, “वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में संसदीय चुनावों के बाद पूंजीगत व्यय में वृद्धि और प्रमुख खरीफ फसलों की बुवाई में सकारात्मक रुझान देखे गए। हालांकि, भारी बारिश के कारण कई क्षेत्रों को कठिनाई का सामना करना पड़ा, जिससे खनन गतिविधि, बिजली की मांग, खुदरा बिक्री प्रभावित हुई और निर्यात में कमी आई। इसके अलावा, इस तिमाही में विभिन्न क्षेत्रों में कंपनियों के मार्जिन में कमी आई है। नतीजतन, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारत के जीवीए और जीडीपी वृद्धि में मामूली गिरावट का अनुमान है, जो क्रमशः 6.6 प्रतिशत और 6.5 फीसदी रह सकती है।”

नायर ने कहा, "अच्छे मानसून का फायदा आगे भी मिलेगा, और खरीफ उत्पादन में वृद्धि और जलाशयों में पानी के बेहतर स्तर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के माहौल में सुधार होने की संभावना है।