वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा। इसे देखते हुए कृषि क्षेत्र को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। बजट से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में कई मंत्रालयों के कामकाज और सरकार द्वारा की गई नीतिगत पहलों की समीक्षा की गई। प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों को उन योजनाओं के ब्योरे के साथ मध्यम वर्ग तक पहुंचने का निर्देश दिया जिनसे उन्हें लाभ हुआ है। सरकारी योजनाओं से जहां गरीबों और वंचितों को लाभ हुआ है वहीं मध्यम वर्ग के लिए भी कई पहल की गई हैं जिससे उनका जीवन आसान हुआ है। इस साल की यह पहली कैबिनेट मीटिंग थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगले साल होने वाले आम चुनाव को देखते हुए इस बजट में पीएम किसान सम्मान निधि की राशि में बढ़ोतरी की घोषणा हो सकती है। साथ ही एग्रीटेक स्टार्टअप्स को टैक्स प्रोत्साहन देने और एग्रोकेमिकल्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने जैसी घोषणाएं हो सकती हैं। कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, सुनिश्चित खेती और ड्रोन जैसी तकनीकों को तेजी से अपनाने के लिए किसानों के साथ-साथ एग्रीटेक स्टार्टअप्स के लिए कुछ प्रोत्साहनों की भी आवश्यकता है।
ऑयल सीड्स का उत्पादन बढ़ाने पर हो जोर
खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) की मांग है कि देश में ऑयल सीड्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय मिशन शुरू किया जाए। इससे खाद्य तेलों का आयात घटाने में मदद मिलेगी। संगठन के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला का कहना है कि खाद्य तेलों के राष्ट्रीय मिशन की शुरुआत के साथ ऑयल सीड्स का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए अतिरक्त वित्तीय समर्थन की तत्काल जरूरत है। मौजूदा समय में भारत सालाना 140 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करता है। उन्होंने कहा कि मिशन को अगले पांच वर्षों के लिए सालाना 25,000 करोड़ रुपये के साथ कार्यान्वित करने की आवश्यकता है ताकि आयातित खाद्य तेलों पर हमारी निर्भरता 2026 तक खपत के मुकाबले 30-40 फीसदी पर लाया जा सके। फिलहाल कुल सालाना खपत का लगभग 65 फीसदी खाद्य तेल आयात किया जाता है।
किसानों को दी जाए ज्यादा नगदी
एग्रोकेमिकल कंपनी धानुका ग्रुप के चेयरमैन आरजी अग्रवाल का कहना है कि पीएम किसान योजना के तहत किसानों को और अधिक राशि दी जानी चाहिए ताकि वे खेती के लिए जरूरी बीज, खाद और कीटनाशक ज्यादा से ज्यादा मात्रा में खरिद सकें। इस योजना के तहत फिलहाल तीन बराबर किस्तों में सालाना 6,000 रुपये पंजीकृत किसानों को दिए जाते हैं। कृषि क्षेत्र में शोध एवं विकास गतिविधियों और विस्तार सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देने की भी उन्होंने वित्त मंत्री से मांग की। सिन्जेंटा इंडिया के चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर केसी रवि का कहना है कि खेती की लागत बढ़ गई है। पीएम किसान योजना की राशि बढ़ाकर किसानों को ज्यादा नगदी दी जाएगी तो वे इसका इस्तेमाल लागत में कर सकेंगे।
खेती में टेक्नोलॉजी को मिले बढ़ावा
एग्री-ड्रोन बनाने वाली कंपनी लोटेकवर्ल्ड एविगेशन के को-फाउंडर और डायरेक्टर दीपक भारद्वाज का कहना है कि ड्रोन खरीदने के लिए सरकार को एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से अलग कुछ फंड रखना चाहिए। कंपनी के दूसरे को-फाउंडर अनूप उपाध्याय का सुझाव है कि सब्सिडी वाला ड्रोन खरीदने के लिए किसानों को सक्षम बनाया जाना चाहिए और ड्रोन निर्माताओं को सब्सिडी राशि रिम्बर्स किया जाना चाहिए। एग्री स्टार्टअप वेकूल फूड्स के को-फाउंडर और एमडी कार्तिक जयरामन का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह की योजनाएं चलाती हैं और सब्सिडी देती हैं। सभी की जानकारी और उन पर नजर रखना कंपनियों के लिए मुश्किल है। सिंगल विंडो पोर्टल के जरिये इन तक पहुंच को सक्षम बनाया जा सकता है ताकि कंपनियों को योजनाओं का बेहतर लाभ उठाने में मदद मिले और इन योजनाओं के उद्देश्य की प्राप्ति हो सके। वाधवानी इंस्टीट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सीईओ शेखर शिवासुब्रमण्यन ने कहा, "कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तैनाती के लिए आगामी बजट में स्थायी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इससे कृषि क्षेत्र लंबा रास्ता तय करेगा।" लीड्स कनेक्ट सर्विसेज के सीएमडी नवनीत रविकर ने कहा कि विभिन्न योजनाओं के तहत ड्रोन के लिए मिलने वाले अनुदान और सब्सिडी को एग्रीटेक, एग्रीफिनटेक और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले निजी शोध संस्थानों तक बढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही सर्टिफाइड फूड टेस्टिंग लैब्स को कृषि उत्पादों, दुग्ध उत्पादों की जांच, परीक्षण और प्रमाणन के लिए 50 फीसदी सब्सिडी दिया जाना चाहिए।
किसानों को ज्यादा पैदावार वाले फसलों की ओर किया जाए प्रेरित
ग्राम उन्नति के फाउंडर अनीश जैन ने कहा कि किसानों को उन नई फसलों और टेक्नोलॉजी को अपनाने की जरूरत है जिनमें पैदावार और रिटर्न बढ़ाने की काफी क्षमता है। इसके लिए इन्सेंटिव या योजनाओं के जरिये कुछ जगहों पर डेमोन्स्ट्रेशन किया जाए ताकि बाकी किसान नई फसलों और तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें। इन्हें एक गांव या ग्राम पंचायत स्तर पर केंद्रित समूहों में आयोजित किया जाना चाहिए ताकि एक ही स्थान पर पर्याप्त उत्पादन हो सके, नहीं तो बाजार से जुड़ने की चुनौती खड़ी हो सकती है।
बायो-फ्यूल और जैविक खाद कंपनी सीईएफ समूह के फाउंडर और सीईओ मनिंदर सिंह की मांग है कि खेती में जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इस पर सब्सिडी देने पर विचार करना चाहिए। बायोटेक्नोलॉजी स्टार्टअप लूपवॉर्म के को-फाउंडर अंकित आलोक बागरिया का कहना है कि सुनिश्चित खेती और खेती के गैर परंपरागत रूपों जैसे एल्गी और इन्सेक्ट खेती को बढ़ावा के लिए इस बजट में विशेष आवंटन किया जाना चाहिए।