केंद्र सरकार ने डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का 50 किलो का बैग किसानों को 1200 रुपये की पुरानी कीमत पर ही उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी में 140 फीसदी की भारी बढ़ोतरी करने की घोषणा की है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से उर्वरक कंपनियों ने डीएपी की कीमत 1900 रुपये प्रति बैग तक बढ़ा दी थी। कीमतों को पुराने स्तर पर रखने के लिए सरकार 14,775 करोड़ रुपये का व्यय करेगी। डीएपी के लिए बढ़ाई गई सब्सिडी के बाद अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतों में आई तेजी का किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार द्वारा डीएपी पर सब्सिडी बढ़ोतरी की घोषणा की जानकारी पत्र सूचना कार्यालय द्वारा बुधवार शाम एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये दी गई। कच्चे माल की ऊंची कीमतों के चलते उर्वरक उत्पादक कंपनियों ने अप्रैल के शुरू में डीएपी और दूसरे कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की कीमत में 45 फीसदी से 58 फीदी की बढ़ोतरी कर दी थी। डीएपी की कीमत को 1200 रुपये प्रति बैग (50 किलो) से बढ़ाकर 1900 रुपये प्रति बैग तक कर दी गई थी।
उद्योग सूत्रों ने रुरल वॉयस के साथ बातचीत में साफ किया था कि कच्चे माल की भारी बढ़ोतरी के चलते बिना सब्सिडी बढ़ाये कीमत को पुराने स्तर पर बरकरार रखना संभव नहीं है।
सरकार द्वारा 19 मई की शाम को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज खाद कीमतों के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। उन्हें खाद कीमतों के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रेजेंटेशन के माध्यम से दी गई।
मीटिंग में इस बात चर्चा हुई कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की बढ़ती कीमतों के कारण खाद की कीमतों में वृद्धि हो रही है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलनी चाहिए।
डीएपी खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से, 140 फीसदी बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति बैग करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इस प्रकार डीएपी की अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों में वृद्धि के बावजूद इसे 1200 रुपये के पुराने मूल्य पर ही बेचे जाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही मूल्य वृद्धि का सारा अतिरिक्त भार केंद्र सरकार ने उठाने का फैसला किया है। प्रति बोरी सब्सिडी की राशि कभी भी एक बार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछले साल डीएपी की वास्तविक कीमत 1700 रुपये प्रति बोरी थी। जिसमें केंद्र सरकार 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी। इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं।
इसमें बताया गया है कि हाल ही में डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 फीसदी से 70 फीसदी तक बढ़ गई हैं । इसके चलते एक डीएपी बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपये है जिसे खाद कंपनियों द्वारा 500 रुपये की सब्सिडी घटा कर 1900 रुपये में बेचा जाता है। आज के फैसले से किसानों को 1200 रुपये में ही डीएपी का बैग मिलता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी कि किसानों को मूल्य वृद्धि का दुष्प्रभाव न भुगतना पड़े।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्र सरकार हर साल रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी के लिए करीब 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। डीएपी में सब्सिडी बढ़ाने के साथ ही खरीफ सीजन में भारत सरकार 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी।
विनियंत्रित उर्वरकों की कीमत में भारी बढ़ोतरी को लेकर किसान संगठनों और राजनीतिक दलों का विरोध तेज हो रहा था। इसके साथ ही अहम बात यह है कि उर्वरक विभाग ने 9 अप्रैल, 2021 को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी कर गैर यूरिया उर्वरकों के लिए न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत मिलने वाली सब्सिडी को अगले आदेश तक पिछले वित्त वर्ष (2020-21) की दरों को चालू वित्त वर्ष (2021-22) में भी बरकरार रखने की घोषणा की थी। उस समय रुरल वॉयस ने इस पर एक विस्तृत स्टोरी की थी। इस बीच उर्वरक विभाग में संयुक्त सचिव ने 17 मई, 2021 को उर्वरक उद्योग को एक पत्र लिखकर कहा था कि कंपनियां उर्वरकों की कीमतों को तर्कसंगत रखे और कीमतों में मुनाफे के लिए बढ़ोतरी नहीं करे। इस पत्र को लेकर 19 मई को दिन में ही रुरल वॉयस ने स्टोरी की थी जिसमें कहा गया था कि यह पत्र इस बात का संकेत है कि सरकार पर सब्सिडी में बढ़ोतरी का दबाव बन रहा है और 19 मई, 2021 की शाम को ही सरकार ने डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाने की घोषणा कर दी। इस घोषणा को सरकार ने एतिहासिक निर्णय बताया है।
डीएपी और दूसरे कॉम्प्लेक्स उर्वरकों पर एनबीएस स्कीम के तहत सब्सिडी दी जाती है। इसमें हर न्यूट्रिएंट के लिए सब्सिडी की दर होती है और कंपनियों द्वारा कॉम्प्लेक्स उर्वरकों में जिस अनुपात में मिलाया जाता है उसी आधार पर सब्सिडी का आकलन होता है। आज शाम की इस घोषणा से पहले तक डीएपी पर 10231 रुपये प्रति टन की सब्सिडी मिल रही थी। सरकार की इस घोषणा के बाद एनबीएस की नई दरें अधिसूचित होने से बाकी उर्वरकों की कीमतों की स्थिति भी साफ होगी। आज की घोषणा में केवल डीएपी की कीमतों के बारे में बात की गई है।
देश की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक सहकारी संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने एक ट्वीट के जरिये सरकार के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाने का एक अच्छा एतिहासिक फैसला लिया गया है। यह फैसला किसानों के लिए उर्वरकों की कीमत घटाने में मददगार साबित होगा।
सरकार के डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाने और पुरानी कीमत को बरकरार रखने के फैसले पर रुरल वॉयस के साथ बातचीत में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है और इससे किसानों पर बोझ कम होगा। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम उर्वरकों की बढ़ी कीमतों के विरोध में किसान संगठनों के लगातार तेज हो रहे विरोध से पैदा दबाव का नतीजा है। इस फैसले को हम सकारात्मक कदम मानते हैं। उम्मीद है कि सरकार जल्दी की तीन नये कृषि कानूनों को लेकर इसी तरह की सकारात्मक सोच का परिचय देते हुए इन कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी जामा पहनाने का फैसला भी लेगी।