केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 15 लाख टन सोयामील के आयात के लिए रास्ता साफ करने के कदम का विरोध शुरू हो गया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अनुषंगी संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मतस्यपालन सचिव को पत्र लिख कर इस अनुमति को वापस लेने के लिए कहा है। साथ ही कहा है कि देश के सबसे बड़े किसान संगठन होने के नाते हम इसका विरोध करते हैं और सरकार जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) उत्पादों के संदर्भ में फैसले लेने के लिए एक अंतरमंत्रालयी समूह बनाने की जरूरत है। जीएम सोयाबीन से तैयार सोया खली के आयात की सहमति का फैसला गैर जिम्मेदाराना है। इस तरह का कदम देश में तमाम जीएम उत्पादों के आयात का रास्ता खोल देगा। इस घटनाक्रम के बाद इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में विवाद तेज होने की संभावना बढ़ गई है।
केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा ऑल इंडिया पॉल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन को 11 अगस्त, 2021 को लिखे गये एक पत्र में कहा गया है कि जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सोयाबीन की क्रशिंग से तैयार 15 लाख टन सोयामील का देश में आयात हो सकता है।
इसी पत्र के बाद भारतीय किसान संघ की यह प्रतिक्रिया आई है। किसान संघ ने 13 अगस्त को यह पत्र मंत्रालय के सचिव को लिखा है। यह पत्र बीकेएस के जनरल सेक्रेटरी बद्री नारायण चौधरी ने लिखा है। बीकेएस ने कहा है कि वह देश के 50 लाख सदस्यों वाला सबसे बड़ा किसान संगठन है। किसान संघ का कहना है कि जीएम संबधित किसी भी स्तर के उत्पाद के आयात की अनुमति की छूट सरकार को नहीं देनी चाहिए क्योकि इसके आय़ात के लिए कोई भी ठोस नियम और दिशा निर्देश नहीं है। जीएम सोयामील के आय़ात की छूट को सरकार को तत्काल प्रभाव से वापस लेना चाहिए। यह जल्दबाजी में लिया गया एक गलत निर्णय है।
संघ ने इस बात से भी नाराजगी जतायी है जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि यह आयात जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सोयाबीन की क्रशिंग से तैयार सोयामील का हो सकता है। इस सोयामील में कोई लाइव आर्गनिज्म नहीं होता है। इसलिए इसे जेनेटिकल इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) के पास ले जाने की जरूरत नहीं है। किसान संघ का कहना है कि इस तर्क के सहारे सरकार जीएम फसल से बने किसी भी उत्पाद को आयात कर सकती है इसलिए सरकार को सोया मील के आय़ात के पहले इस बात पर गौर करना चाहिए।
भारतीय किसान संघ का कहना है कि एक ओर जहां देश में पशुओं के लिए उत्पादित मक्का औऱ प्रोटीन युक्त चारे के दामों मे वृद्दि नहीं हो रही है और किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। ऐसे में बाहर से आयात कर घरेलू विकल्पों को कैसा लाभ मिल सकता है । इस बात को ध्यान मे रखकर सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है ।
भारतीय किसान संघ की काफी समय से मांग कर रहा कि विभिन्न मंत्रालयों का एक समूह बनाया जाए जिसमें जीएम उत्पादों, उनके अनुसंधान, उत्पादन और उपयोग पर एक मसौदा बनाया जाय । भारतीय किसान संघ ने उम्मीद जताई है कि मंत्रालय उनकी मांगों पर ध्यान देते हुए दोबारा इस पर गहन विचार करेगा और जरूरी कदम उठाएगा। साथ ही संघ ने कहा कि अगर सरकार देश और किसान हित में इस मुद्दे से संबधित चर्चा मे हमें शामिल करता है, उसमें शामिल होने में हमें खुशी होगी।