किसानों को ब्लॉक स्तर पर मौसम संबंधी सलाह उपलब्ध कराने वाली जिला कृषि मौसम इकाइयों (डीएएमयू) को सरकार बंद करने जा रही है। मौसम विभाग ने 17 जनवरी को जारी एक आदेश में कहा है कि जिला कृषि मौसम इकाइयों (डीएएमयू) की सेवाओं को चालू वित्तीय वर्ष (2023-2024) से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। इस आदेश के बाद से डीएएमयू में काम करने वाले 398 कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। इस मामले में कृषि मौसम विज्ञान यूनिटों के संगठन (एयूए) ने प्रधानमंत्री से भी गुहार लगाई है।
अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्री से डिस्ट्रिक्ट एग्रोमेट यूनिट्स को बंद ना करने का आग्रह किया है। नितिन गडकरी ने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को पत्र लिखकर 199 डिस्ट्रिक्ट एग्रोमेट यूनिट्स की सेवाएं जारी रखने का अनुरोध किया। एयूए के पत्र का हवाला देते हुए गडकरी ने कहा कि डीएएमयू सप्ताह में दो बार कृषि मौसम संबंधी सलाह तैयार करती हैं और उसे ग्रामीण स्तर तक किसानों तक पहुंचाती हैं। उन्हें बताया गया कि इससे किसानों को काफी फायदा हुआ है। इसलिए इन्हें जारी रखने के अनुरोध पर विचार किया जाना चाहिए।
इससे पहले एग्रोमेटियोरोलॉजिकल यूनिट्स एसोसिएशन (एयूए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र को पत्र लिखकर कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों की सेवाएं जारी रखने के लिए हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। डीएएमयू सप्ताह में दो बार कृषि मौसम संबंधी सलाह तैयार करता है और उसे ग्रामीण स्तर तक किसानों तक पहुंचाता है। एयूए का कहना है कि इससे किसानों को काफी फायदा हुआ है। अगर डीएएमयू को बंद कर दिया जाता है, तो इसका कृषि उत्पादन, खाद्य सुरक्षा और कृषक समुदाय की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
केंद्र सरकार ने 2018 में, किसानों को ब्लॉक स्तर पर मौसम संबंधी सलाह उपलब्ध कराने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में जिला कृषि मौसम इकाइयों की शुरुआत की थी। इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट (एएमएफयू) के जरिए भी किसानों को मौसम संबंधी सलाह दी जाती है। जिला कृषि मौसम इकाइयां मौसम विभाग (पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (कृषि मंत्रालय) का संयुक्त उपक्रम हैं। फिलहाल देश में 199 डीएमएयू संचालित हैं। हर यूनिट में दो कर्मचारी होते हैं। डीएमएयू बंद होने से 398 कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। साथ ही किसानों को ब्लॉक स्तर पर मिलने वाली मौसम संबंधी सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।
उधर, मौसम विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि मौसम संबंधी आंकड़ें जुटाने और सूचनाओं के प्रसार का काम अब स्वचालित हो गया है। मौसम संबंधी आंकड़ों का केंद्रीय स्तर पर विश्लेषण कर संचार तकनीक की मदद से किसानों तक पहुंचाया जा सकता है। इसलिए जिला कृषि मौसम इकाइयों की कोई आवश्यकता नहीं है। यानी डीएएमयू के कर्मचारियों पर ऑटोमैशन की मार पड़ रही है।