2030 तक 100 अरब डॉलर का कृषि निर्यात संभव, ठोस नीति और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार जरूरी

"इन्फ्रास्ट्रक्चर के कायाकल्प से भारत के कृषि निर्यात को बढ़ावा" देने पर इंफ्राविजन फाउंडेशन की ओर से राउंडटेबल का आयोजन। नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों ने कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए सही नीतियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।

इन्फ्राविजन फाउंडेशन के संस्थापक और मैनेजिंग ट्रस्टी विनायक चटर्जी, पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन; महानिदेशक, डीजीएफटी, संतोष सारंगी; सचिव, खाद्य प्रसंस्करण, डॉ. सुब्रत गुप्ता; एपीडा के चेयरमैन अभिषेक देव; SATS इंडिया के कंट्री चेयरमैन सिराज चौधरी; और आईटीसी के ग्रुप हेड (कृषि और आईटी) एस. शिवकुमार

अगर सही नीतिगत कदम उठाए जाएं और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए तो वर्ष 2030 तक भारत का कृषि निर्यात 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।कृषि वस्तुओं का दुनिया का 8वां सबसे बड़ा निर्यातक होने के बावजूद, भारत को बुनियादी ढांचे और बाजार पहुंच में कमी के कारण कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारत कई कृषि वस्तुओं के निर्यात में अग्रणी है, लेकिन इसकी उत्पादकता वैश्विक मानकों से बहुत कम है। इस अंतर को पाटने और सप्लाई चेन लिंकेज बढ़ाने से किसानों की आय और देश की निर्यात क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। 

इन्फ्राविजन फाउंडेशन के सेंटर फॉर एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर रिसर्च एंड एक्शन (CAIRA) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित राउंडटेबल में "इन्फ्रास्ट्रक्चर के कायाकल्प से भारत के कृषि निर्यात को बढ़ावा" देने के विषय में कई सुझाव आए। इस अवसर पर CAIRA का पहला बैकग्राउंड पेपर की जारी किया गया, जिसमें बुनियादी ढांचे में बदलाव की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है। कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए सभी मंत्रालयों के बीच समन्वित दृष्टिकोण, स्थिर निर्यात नीति वातावरण, कोल्ड चेन, भंडारण और लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार होना चाहिए।  

कई प्रमुख नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों ने परिचर्चा में अपने विचार रखे। उनमें खाद्य प्रसंस्करण सचिव सुब्रत गुप्ता, विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष सारंगी, अध्यक्ष, एपीडा अभिषेक देव, पूर्व केंद्रीय कृषि सचिव सिराज हुसैन, विश्व बैंक के एंड्रयू गुडलैंड और आईटीसी के ग्रुप हेड (कृषि और आईटी) एस. शिवकुमार शामिल थे। 

उद्योग जगत से जुड़े कई विशेषज्ञों ने भी कृषि व्यापार बढ़ाने के उपायों के बारे में अपने सुझाव दिए। इनमें सिराज चौधरी, कंट्री चेयरमैन, एसएटीएस इंडिया, चॉइस ग्रुप के निदेशक थॉमस जोस; टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमित पंत; सह्याद्रि फार्म्स में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख अज़हर तंबूवाला; अतुल छुरा, चीफ बिजनेस ऑफिसर, एग्रीबाजार; ग्राम उन्नति के सीईओ और एमडी अनीश जैन और रूरल वॉयस के एडिटर-इन-चीफ हरवीर सिंह शामिल थे। 

वक्ताओं ने सुझाव दिया कि टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बड़े पैमाने पर अपनाने और वैश्विक बाजार की बदलती आवश्यकताओं के साथ भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है। उत्पादन-केंद्रित दृष्टिकोण की बजाय उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाना जरूरी है। 

राउंडटेबल में विशेषज्ञों ने सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका पर जोर दिया, लेकिन इसके अतिरेक के प्रति आगाह भी किया। निजी चुनौतियों के लिए सार्वजनिक समाधानों में सरकारी हस्तक्षेप का संयमित और सटीक उपयोग करना चाहिए। कृषि निर्यात में बढ़ोतरी के लिए माइंड सेट में बदलाव की ओर भी ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। खासतौर पर पॉलिसी क्लस्टरिंग को अपनाना जिससे सरकारी और उद्योग हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिल सके। 

कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों ने ट्रेसेबिलिटी, नीतिगत स्पष्टता और व्यापार के बारे में मार्केट इंटेलीजेंस को भी महत्वपूर्ण बताया। साथ ही स्थानीय कीमतों में अस्थिरता को कम करने की आवश्यकता है, जिससे निर्यात-आयात प्रभावित होता है। वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए घरेलू स्तर पर भी गुणवत्ता के स्तर में सुधार लाना होगा, इसलिए निर्यात में सुधार के लिए घरेलू बाजारों को गौण नहीं माना जाना चाहिए। 

CAIRA इन्फ्राविज़न फाउंडेशन की एक पहल है जिसे शोध, नीतियों और कारगर उपायों के माध्यम से भारत के कृषि-निर्यात परिदृश्य के कायाकल्प के लिए स्थापित किया गया है। CAIRA कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार, सहयोग को बढ़ाने और नीति सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए काम करेगा।