वित्त वर्ष 2025-26 का आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने GYAN यानी गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी को ध्यान में रखकर 10 व्यापक क्षेत्रों में बजट उपायों का ऐलान किया। इनमें कृषि के विकास और ग्रामीण समृद्धि को खास तरजीह दी गई है। वित्त मंत्री ने कृषि को भारत की विकास यात्रा का प्रथम ईंजन करार देते हुए कई घोषणाएं की हैं।
राज्यों की भागीदारी के साथ ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ शुरू की जाएगी। इसके अंतर्गत कम उत्पादकता वाले 100 जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधता और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाने, पंचायत व ब्लॉक स्तर पर भंडारण, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और ऋणों की उपलब्धता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को मदद मिलने की संभावना है।
वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से मिलने वाले ऋण की सीमा को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की घोषणा की है। यह किसानों के लिए बजट की बड़ी घोषणा है। इसका लाभ केसीसी के दायरे में आने वाले लगभग 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों मिलेगा।
ग्रामीण समृद्धि के लिए एक व्यापक बहु-क्षेत्रीय ‘ग्रामीण समृद्धि और अनुकूलन’ कार्यक्रम प्रारम्भ किया जाएगा। इससे कौशल, निवेश और तकनीक के माध्यम से रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा, साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। पहले चरण में 100 विकासशील कृषि जिलों को शामिल किया गया है। यह कार्यक्रम खासतौर पर ग्रामीण महिलाओं, युवाओं, सीमांत व छोटे किसानों और भूमिहीन परिवारों पर केंद्रित होगा।
इस बार भी वित्त मंत्री ने खाद्य तेलों और दलहन में आत्मनिर्भरता लाने पर जोर दिया है। सरकार अरहर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान देते हुए 6-वर्षीय “दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन” शुरू करने जा रही है। केंद्रीय एजेंसियां (नेफेड और एनसीसीएफ) अगले चार वर्षों के दौरान किसानों से तीन दलहनों की अधिकतम खरीद करेंगी।
सब्जियों और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम की घोषणा भी बजट में की गई है। सब्जियों व फलों के उत्पादन, आपूर्ति, प्रसंस्करण और किसानों के लिए लाभकारी मूल्य को बढ़ावा देने के लिए राज्यों की भागीदारी से यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसमें किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी समितियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
‘कपास उत्पादकता मिशन’ की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि पंच-वर्षीय मिशन से कपास की उत्पादकता और लंबे रेशे वाली किस्मों को बढ़ावा दिया जाएगा। किसानों की आमदनी बढ़ाने और परंपरागत वस्त्र क्षेत्र के लिए गुणवत्तापूर्ण कपास की आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।
किसानों को गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन लागू किया जाएगा। इससे अनुसंधान इकोसिस्टम को मजबूत किया जाएगा। कार्यक्रम के जरिए जुलाई 2024 से जारी किए गए बीजों की 100 से अधिक किस्मों को वाणिज्यिक स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा।
मखानों के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन में सुधार के लिए बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा। बोर्ड मखाना किसानों को मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने का प्रयास करेगा।
यूरिया उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार असम के नामरूप में 12.7 लाख मीट्रिक टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता वाला एक संयंत्र स्थापित करेगी। इस संयंत्र के साथ-साथ पूर्वी क्षेत्र में निष्क्रिय पड़े तीन यूरिया संयंत्रों में उत्पादन को पुनः प्रारंभ करने से यूरिया आपूर्ति बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
सरकार 1.5 लाख ग्रामीण डाकघरों और 2.4 लाख डाक सेवकों के विशाल नेटवर्क वाले भारतीय डाक को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने के लिए तैयार किया जाएगा। भारतीय डाक को विशाल सार्वजनिक लॉजिस्टिक संगठन के रूप में बदला जाएगा।