खरीफ में रिकॉर्ड चावल उत्पादन का अनुमान, दलहन उत्पादन 9 साल के न्यूनतम स्तर पर, गन्ना और कपास उत्पादन भी घटा

वर्ष 2024-25 के खरीफ सीजन में चावल उत्‍पादन 11.99 करोड़ टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के खरीफ चावल उत्पादन से 66.75 लाख टन अधिक है। लेकिन खरीफ दलहन उत्पादन 69.54 लाख टन रहने का अनुमान है जो 2015-16 के बाद सबसे कम है।

इस साल अच्छे मानूसन के चलते खरीफ सीजन में चावल उत्पादन रिकॉर्ड 11.99 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। लेकिन दलहन उत्पादन गिरकर नौ वर्षों के न्यूनतम स्तर पर रहने का अनुमान है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 के लिए प्रमुख फसलों (खरीफ) के उत्पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान जारी किए हैं। अनुमानों के मुताबिक, दलहन में आत्मनिर्भरता लाने के दावों के बावजूद देश में दालों का उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा है। इस साल खरीफ सीजन में दलहन उत्पादन नौ साल के निचले स्तर पर आ सकता है।      

प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार, वर्ष 2024-25 के दौरान कुल खरीफ खाद्यान्‍न उत्‍पादन 16.47 करोड़ टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के खरीफ खाद्यान्न उत्‍पादन की तुलना में 89.37 लाख टन अधिक है। चावल, ज्वार और मक्का के अच्छे उत्पादन के कारण खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि का अनुमान है। 

वर्ष 2024-25 के खरीफ सीजन में चावल उत्‍पादन 11.99 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के खरीफ चावल उत्पादन से 66.75 लाख टन अधिक है। लेकिन खरीफ दलहन उत्पादन 69.54 लाख टन रहने का अनुमान है जो 2015-16 के बाद सबसे कम है। 2015-16 के खरीफ सीजन में 55.30 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। जबकि 2016-17 में खरीफ का दलहन उत्पादन 95.82 लाख टन तक पहुंच गया था। पिछले दो वर्षों में यह घटकर 70 लाख टन से भी नीचे आ गया है। इससे दालों के मामले में आयात पर भारत की निर्भरता बनी रहेगी और आत्मनिर्भरता के दावों का झटका लगा है। दलहन में सबसे ज्यादा गिरावट उड़द के उत्पादन में आने का अनुमान है। 

वर्ष 2024-25 के खरीफ सीजन के दौरान देश में कुल तिलहन उत्‍पादन 257.45 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष के खरीफ तिलहन उत्पादन की तुलना में 15.83 लाख टन अधिक है। खरीफ मूंगफली का उत्‍पादन 103.60 लाख टन और सोयाबीन का उत्पादन 133.60 लाख टन अनुमानित है।

खरीफ सीजन में मक्का का उत्‍पादन 245.41 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है जो पिछले साल 222.45 लाख टन था। पेट्रोल मिश्रण के लिए एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के चलते देश में किसानों का रुझान मक्का उत्पादन की ओर बढ़ा है। 

मोटे अनाजों में खरीफ ज्वार का उत्पादन पिछले साल के 15.09 लाख से बढ़कर इस साल 21.96 लाख टन तक पहुंच सकता है लेकिन बाजरा के उत्पादन में गिरावट आ सकती है। खरीफ बाजरा का उत्पादन पिछले साल के 96.63 लाख टन से घटकर इस साल 93.75 लाख टन रहने का अनुमान है। रागी का उत्पादन पिछले साल के 16.70 लाख टन से घटकर 13.90 रह सकता है।

सरकार द्वारा श्री अन्न को बढ़ावा देने की कोशिशों के बावजूद खरीफ सीजन में श्री अन्न का उत्पादन पिछले साल से कुछ घटकर 132.77 लाख टन रहने का अनुमान है। कुल मिलाकर मोटे अनाजों का उत्पादन खरीफ सीजन में 378.19 लाख टन तक पहुंच सकता है जो पिछले साल 355.35 लाख टन था। 

नकदी फसलों में, गन्ने का उत्पादन पिछले साल के 45.32 करोड़ टन से घटकर 43.99 करोड़ टन रहने का अनुमान है। यह गन्ने का पिछले तीन साल में सबसे कम उत्पादन होगा। गन्ने की फसल में रोगों के प्रकोप के चलते उत्पादन पर असर पड़ा है। 

कपास उत्पादन में भारी गिरावट देखी जा रही है। कपास का उत्पादन गत वर्ष के 325.22 लाख गांठ से घटकर इस साल 299.26 लाख गांठ (170 किग्रा) रहने का अनुमान है। पिछले छह वर्षों में पहली बार कपास का उत्पादन 300 लाख गांठ से कम रह सकता है। कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म के प्रकोप के कारण हाल के वर्षों में कपास उत्पादन में गिरावट आई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार, “पहली बार, राज्य सरकारों के सहयोग से डिजिटल कृषि मिशन के तहत डिजिटल फसल सर्वेक्षण (डीसीएस) के आंकड़ों का उपयोग फसल क्षेत्र के अनुमान तैयार करने के लिए किया गया है।” यह सर्वेक्षण मैनुअल गिरदावरी की जगह लेगा। खरीफ सीजन 2024-25 के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा के सभी जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया गया है।