रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एक बार फिर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। तब से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक (एमपीसी) में ये फैसला लिया गया है। एमपीसी की बैठक 5 से 7 जून 2024 तक आयोजित की गई। जिसके बाद आज शक्तिकांत दास ने बैठक के निर्णयों की घोषणा की। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में विकास दर के 7.2 फीसदी रहने और महंगाई दर के लिए 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है। महंगाई दर के लिए रिजर्व बैंक का लक्षित स्तर चार फीसदी (प्लस, माइनस दो फीसदी) है।
शक्तिकांत दास ने बताया कि 6.5 प्रतिशत के साथ रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके साथ ही स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) रेट 6.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट और बैंक रेट 6.75 प्रतिशत पर बना रहेगा। दास ने आगे कहा कि ईंधन की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। हालांकि, खाद्य महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी बनी हुई हैं। आगे भी खाने-पीने की चीजें ऐसे ही मंहगी होती रहेंगी। जबकि, एमपीसी ने ग्रोथ को नुकसान पहुंचाए बिना अब तक महंगाई पर कंट्रोल किया है। उन्होंने कहा कि महंगाई और न बढ़े इसलिए एमपीसी ने बैठक में रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर ही रखने का फैसला लिया है।
क्या है जीडीपी ग्रोथ का अनुमान?
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई के दौरान खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) के 4.5 फीसदी पर बने रहने का अनुमान जताया है। पहली तिमाही में खुदरा मंहगाई 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। वहीं, आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। दास ने कहा कि पहली तिमाही में इसके 7.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
क्या होता है रेपो रेट?
आसान भाषा में कहें तो रेपो रेट उस दर को कहा जाता है, जिस दर से रिजर्व बैंक सरकारी और प्राइवेट बैकों को लोन देता है। जिस तरह हमें लोन की जरूरत होती है, उसी तरह बैकों को भी लोन की आवश्यकता होती है। उस लोन पर बैंक जो ब्याज चुकाते हैं, उसे ही रेपो रेट कहा जाता है। अगर रेपो रेट कम होगा तो बैकों को लोन सस्ता मिलेगा। यानी बैंक अपने ग्राहकों को सस्ता लोन देंगे। वहीं, अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो लोन मंहग मिलेगा।