आरबीआई ने 5 साल बाद घटाया रेपो रेट, सस्ते होंगे लोन

आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक के बाद रेपो रेट को 6.50 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी करने का ऐलान किया। मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया है।   

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगभग पांच साल में पहली बार नीतिगत दर यानी रेपो रेट में कटौती कर इकोनॉमी को गति देने का प्रयास किया है। आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कार्यभार संभालने के बाद मौद्रिक नीति की पहली समीक्षा करते हुए रेपो रेट को 6.50 फीसदी से 25 आधार अंक घटाकर 6.25 फीसदी करने का ऐलान किया। मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने इस निर्णय का समर्थन किया है।   

रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों को उधार देता है। आरबीआई की प्रमुख ब्याज दर में कटौती के बाद घर, ऑटो और अन्य लोन की ब्याज दरों में गिरावट आने की संभावना है। 

आरबीआई ने इससे पहले मई, 2020 में रेपो रेट में कटौती की थी। आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया गया था। तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ। मौद्रिक नीति समिति की पिछली लगातार 11 बैठकों में रेपो रेट को यथावत रखने का निर्णय लिया गया था।

आम बजट में सालाना 12 लाख रुपये तक की आय को आयकर से छूट देने के बाद ब्याज दरों में कटौती मध्य वर्ग को राहत देने वाला दूसरा बड़ा फैसला है। इसके जरिए रिजर्व बैंक सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने का प्रयास कर रहा है। चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर पिछले चार वर्षों में सबसे कम 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है जो अगले वित्त वर्ष में 6.3-6.8 फीसदी के बीच रहेगी। आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष के लिए 6.7 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाया है।

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि इकोनॉमी की विकास दर में सुधार और महंगाई में कमी आने की संभावना को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बनी है। हालांकि, महंगाई कम करने पर फोकस बना रहेगा। उन्होंने रोजगार की स्थिति में सुधार, टैक्स में छूट, महंगाई में कमी और बेहतर कृषि उत्पादन से आर्थिक वृद्धि को मदद मिलने की उम्मीद जताई।

दिसंबर में खुदरा महंगाई घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.22 फीसदी पर आ गई थी। हालांकि, अभी भी यह 4 फीसदी के लक्ष्य से अधिक है। बेहतर खरीफ उत्पादन, सर्दियों में सब्जियों की कीमतों में कमी और रबी फसल की अच्छी संभावनाओं के कारण खाद्य महंगाई कम होने की संभावना है। आरबीआई का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई औसतन 4.8 फीसदी रहेगी, जो अगले वर्ष घटकर 4.2 फीसदी हो जाएगी।