देश में मक्का के शुल्क मुक्त आयात का मुद्दा गरमा गया है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जीरो ड्यूटी पर मक्का आयात का विरोध किया है। उन्होंने इस आशय का पत्र केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को भी लिखा है।
देश में मक्का की उपलब्धता में कमी और बढ़ती कीमतों को देखते हुए ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (AIPBA) और कम्पाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (CLFMA) ने सरकार ने मक्का पर आयात शुल्क खत्म करने सहित कई मांगें की थी। मक्का और सोयाबीन को लेकर एनिमल फीड और पोल्ट्री इंडस्ट्री को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
पोल्ट्री और फीड इंडस्ट्री के संगठनों की मांग पर केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा को एक पत्र लिखकर टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत मक्का पर आयात शुल्क जीरो करने और 35 लाख टन मक्का आयात की अनुमति देने का आग्रह किया है। साथ ही मक्का प्रोसेसर्स को नेफेड चैनल की बजाय सीधे मक्का आयात की अनुमति देने और जीएम सोया मील के आयात की अनुमति देने की सिफारिश भी की गई है।
इस पत्र को लेकर किसान संगठनों में हलचल मच गई है क्योंकि नई फसल आने से पहले मक्का का शुल्क मुक्त आयात हुआ तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। केंद्रीय सचिव जिस तरह इंडस्ट्री की पैरवी कर रही हैं, उसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
केंद्रीय मंत्रियों को लिखे पत्र में किसान नेता राजू शेट्टी ने कहा कि यदि देश में मक्का का शुल्क मुक्त आयात होता है तो इससे कई समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना है। देश में मक्का के दाम पहले ही बहुत कम हैं और किसान लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने से मक्का की घरेलू कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है। इससे मक्का उत्पादकों को नुकसान हो सकता है।
राजू शेट्टी का कहना है कि मक्का एक महत्वपूर्ण फसल है। खासकर उन किसानों के लिए जिनकी जमीन बहुत उपजाऊ नहीं है। महाराष्ट्र में मक्का मुख्य रूप से मराठवाड़ा और विदर्भ में उगाया जाता है। इस साल अच्छे मानसून का अनुमान है जिससे किसानों को मक्का की अधिक उपज प्राप्त होगी। इसलिए वर्तमान परिदृश्य में मक्का के आयात की कोई आवश्यकता नहीं है।
शेट्टी के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि यह निर्णय पोल्ट्री उत्पादकों के दबाव में लिया है। यद्यपि हम पोल्ट्री उद्योग की आवश्यकताओं को समझते हैं, लेकिन किसानों की आजीविका के साथ संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। अपने पत्र में राजू शेट्टी ने किसानों को उचिम मूल्य दिलाने के लिए मक्का की कीमतें बढ़ाने तथा मक्का के आयात पर तुरंत रोका लगाने की मांग की है।