एक तरफ जहां उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के इलाके भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं, वहीं राहत देने वाली खबर है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में प्रवेश कर चुका है और आज पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश भागों में आगे बढ़ गया है। इस बार केरल में मानसून का आगमन अनुमानित तिथि से दो दिन पहले हो रहा है। मौसम विभाग ने इस साल मानसून के दौरान सामान्य बारिश की उम्मीद जताई है जो देश की कृषि व अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है।
मानसून की बेहतर बारिश की संभावनाओं का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ने के साथ ही यह महंगाई दर को भी नियंत्रित करने में मदद करेगा। पिछले साल मानसून की बारिश के देश के कई क्षेत्रों में असामान्य रहने के चलते खरीफ सीजन का उत्पादन कमजोर रहा था। खाद्यान्न, तिलहन और गन्ना समेत तमाम फसलों का उत्पादन गिरने से कृषि की विकास दर घटकर एक फीसदी से नीचे चली गई थी। जिसके संशोधित अनुमानो में और कम होने की आशंका है। इस स्थिति के चलते ही ग्रामीण क्षेत्रों से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के लिए मांग में सुधार नहीं हुआ है। इस साल बेहतर मानसून इस स्थिति में सुधार ला सकता है बशर्ते कि मानसून की बारिश का क्षेत्रीय और पूरे मानसून सीजन के अवधि दौरान संतुलन बना रहे।
मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल और माहे में दस्तक दे चुका है और आज यानी 30 मई को पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में आगे बढ़ गया है। आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून को केरल में दस्तक देता है और 5 जून तक पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में आगे बढ़ जाता है। इस प्रकार, दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य तिथि से 2 दिन पहले केरल में और सामान्य तिथि से 6 दिन पहले पूर्वोत्तर भारत में दस्तक दे चुका है। मानसून लक्षद्वीप क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों, दक्षिण अरब सागर, मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों और दक्षिण तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में भी आगे बढ़ चुका है।
चक्रवात रेमल के कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून अनुमानित तिथि से पहले ही केरल तट और पूर्वोत्तर के अधिकांश भागों में पहुंच गया है। अगले दो-तीन दिनों में मानसून के आगे बढ़ने की उम्मीद है। पिछले दो दिनों के दौरान, दक्षिण-पूर्व अरब सागर में बादल बढ़ गए हैं और केरल में व्यापक वर्षा हुई है। राज्य में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा हुई है। इन स्थितियों को देखते हुए मौसम विभाग ने दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल में आगमन की घोषणा कर दी है।
केरल में मानसून का आगमन तब माना जाता है जब 10 मई के बाद केरल और आसपास के क्षेत्रों में लगातार दो दिनों तक 2.5 मिमी या उससे अधिक बारिश होती है और हवाओं की दिशा दक्षिण-पश्चिमी होती है। साथ ही आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR) 200w/m2 से कम होता है।