इस साल धान की बंपर फसल और देश में चावल के पर्याप्त भंडार को देखते हुए केंद्र सरकार चावल निर्यात को बढ़ावा देने में जुटी है। इसी क्रम में गैर-बासमती सफेद चावल पर लागू 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटा दिया है। इससे पहले मंगलवार को ही सरकार ने सेला चावल और ब्राउन राइस पर निर्यात शुल्क समाप्त करने का ऐलान किया था।
बुधवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, "गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए एमईपी की आवश्यकता तत्काल प्रभाव से हटा दी गई है।"
इस प्रकार केंद्र सरकार ने चावल निर्यात पर लागू सभी पाबंदियां हटा ली हैं। पिछले महीने केंद्र सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर लागू एमईपी को समाप्त कर दिया था। इसके बाद गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगी रोक को हटाया था, लेकिन 490 डॉलर प्रति टन का एमईपी लगा दिया था। अब यह पाबंदी भी सरकार ने समाप्त कर दी है।
पिछले साल कमजोर मानसून और चावल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने 20 जुलाई, 2023 को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। निर्यात पाबंदियों के चलते चालू वित्त वर्ष के दौरान देश से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात में काफी गिरावट आई है। जबकि दो साल पहले भारत ने 200 लाख टन से अधिक चावल का निर्याता किया था और चावल के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी तक पहुंच गई थी।
चावल के निर्यात में कमी और धान की कीमतों में आई गिरावट के बीच केंद्र सरकार के इन फैसलों को झारखंड और महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है।