महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार अगले महीने केंद्रीय पूल से गेहूं की बिक्री (ओएमएसएस) शुरू करने जा रही है। इससे आटा मिल और बिस्कुट निर्माता जैसे थोक खरीदारों को बाजार भाव से कम दाम पर गेहूं मिल सकेगा। सरकार बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाकर कीमतों पर नियंत्रण रखना चाहती है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को अगले महीने से खुले बाजार में गेहूं की बिक्री को हरी झंडी देते हुए 2,325 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम बिक्री मूल्य तय किया है, जो मौजूदा बाजार मूल्य से कम है। इस रेट में ढुलाई का खर्च शामिल नहीं है। जबकि पिछले साल पूरे देश में एकसमान दर थी।
खुले बाजार में कितनी मात्रा में गेहूं बेचा जाएगा, उसकी मात्रा अभी तय नहीं है। इसका निर्धारण केंद्रीय पूल में गेहूं की उपलब्धता, बफर नॉर्मस और पीडीएस की जरूरतों को ध्यान में रखते किया जाएगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सरकारी योजनाओं के लिए करीब 184 लाख टन गेहूं की आवश्यकता है।
पिछले साल, एफसीआई ने जून से ही खुले बाजार में गेहूं की बिक्री शुरू कर दी थी और मार्च के आखिर तक रिकॉर्ड 100 लाख टन गेहूं बाजार में उतारा था। इस साल सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक 1 जून को घटकर 299 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल 1 जून को यह 314 लाख टन था। फिलहाल एफसीआई के भंडार में करीब 282 लाख टन गेहूं है। ऐसे में देखना होगा कि सरकार कितनी मात्रा में गेहूं खुले बाजार में बेच पाती है।
इस साल कृषि मंत्रालय ने देश में गेहूं के रिकॉर्ड 1129 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया है। लेकिन सरकार 266 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद ही कर पाई जो पिछले साल से थोड़ा ही अधिक है। इस बीच, गेहूं की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखना पड़ा और इस पर स्टॉक लिमिट भी लगा दी। इसके बावजूद गेहूं और इसके उत्पादों की कीमतों को काबू में रखना सरकार के लिए चुनौती बन रहा है। ऐसे में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमानों पर भी सवाल उठ रहे हैं।