केंद्र सरकार ने सेला चावल और ब्राउन राइस पर निर्यात शुल्क खत्म कर दिया है। मंगलवार रात वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, पारबॉयल्ड राइस (सेला चावल), ब्राउन राइस (भूरा चावल) और भूसी सहित चावल (धान) पर निर्यात शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर 'शून्य' कर दिया है। शुल्क में यह कटौती 22 अक्टूबर से प्रभावी है। इस निर्णय को चुनाव आयोग की अनुमति इस शर्त के साथ मिली है कि इसका राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
पिछले महीने 27 सितंबर को सरकार ने सेला चावल और ब्राउन राइस पर निर्यात शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था। साथ ही गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगी रोक को हटा दिया था लेकिन 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगा दिया था। इससे पहले 13 सितंबर को सरकार ने बासमती चावल पर लागू न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया था। धान की कीमतों में गिरावट के बीच केंद्र सरकार के इन उपायों को झारखंड और महाराष्ट्र में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
धान की नई फसल आने के साथ ही सामान्य धान का भाव 2320 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से नीचे चला गया है जबकि 1509 किस्म के बासमती धान के दाम पिछले साल के मुकाबले 500-700 रुपये कम हैं। अब निर्यात शुल्क और अन्य पाबंदियां हटाकर सरकार धान का निर्यात बढ़ाने का प्रयास कर रही है जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल सके।
इस साल अच्छे मानसून के चलते देश में रिकॉर्ड 13.78 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान है। इस साल खरीफ सीजन में धान की बुवाई का क्षेत्र 414.50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है जो पिछले साल और पांच साल के औसत (सामान्य क्षेत्र) से अधिक है।
एक अक्टूबर को सेंट्रल पूल में 310.59 लाख टन चावल का स्टॉक था, जो पिछले साल से करीब 40 फीसदी अधिक और दो दशक में सर्वाधिक है। बंपर फसल की उम्मीद और पर्याप्त स्टॉक के चलते सरकार चावल निर्यात को बढ़ावा देने की स्थिति में है। जल्द ही गैर-बासमती सफेद चावल पर 490 डॉलर प्रति टन का एमईपी हटने का नोटिफिकेशन भी जारी हो सकता है।
निर्यात पाबंदियों कारण वित्त वर्ष 2023-24 में गैर-बासमती चावल का निर्यात पिछले साल के 177.9 लाख टन से घटकर 111.2 लाख टन रह गया है। इस साल सेला चावल का निर्यात भी करीब 13 फीसदी घटा है। भारत से चावल निर्यात पर लगी पाबंदियों का फायदा विश्व बाजार में थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान को मिला। अब भारत से चावल का निर्यात बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी और चावल के भाव नीचे आ सकते हैं। चावल निर्यातकों को उम्मीद है कि सेला चावल के ड्यूटी फ्री एक्सपोर्ट से अफ्रीकी देश भारत से अपनी खरीद बढ़ाएंगे।