केंद्र सरकार ने चीनी मिलों और डिस्टीलरीज को गन्ने के रस, सिरप और बी-हैवी मोलेसेस से एथेनॉल बनाने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (2024-25) के लिए दी गई है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय में डायरेक्टर शुगर ने इस संबंध में एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा 15 दिसंबर, 2023 को उक्त उत्पादों से एथेनॉल बनाने पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है।
इसके साथ ही सरकार ने भारतीय खाद्य निगम के स्टॉक से एथेनॉल उत्पादन के लिए अधिकतम 23 लाख टन चावल के इस्तेमाल की मंजूरी देने का भी फैसला लिया है। इस संबंध में दी गई अनुमति के मुताबिक, एथेनॉल उत्पादक भारतीय खाद्य निगम की ऑक्शन में चावल खरीदने के लिए हिस्सा ले सकेंगे। एथेनॉल उत्पादक इस चावल का उपयोग फीड स्टॉक के रूप में कर पाएंगे।
पिछले साल चीनी उत्पादन में कमी की आशंका और कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए एथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी के डायवर्जन पर रोक लगाई गई थी। वहीं चावल की बढ़ती कीमतों के चलते सरकार ने एफसीआई के स्टॉक से एथेनॉल उत्पादन के लिए चावल देना बंद कर दिया था। जबकि दूसरी तरफ, सरकार ने पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लैंडिंग को साल 2025 में 20 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है, जो अभी तक 13 फीसदी के स्तर पर है।
सरकार ने चीनी उत्पादन में गिरावट की आशंका के चलते चीनी के निर्यात पर भी रोक लगा रखी है। इसे प्रतिबंधित सूची में रखा गया है। हालांकि उद्योग का कहना है कि देश में चीनी का पर्याप्त भंडार है और उसे निर्यात का अनुमति दी जाए। आगामी चीनी उत्पादन सीजन चीनी का बेहतर उत्पादन रहने का अनुमान लगाते हुए उद्योग ने यह मांग दोहराई है।
इन कारकों के चलते ही सरकार ने चीनी मिलों और डिस्टलीरिज को यह गन्ने के रस, सीरप और बी-हैवी मोलेसेस व सी-हैवी मोलेसेस से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी है। साथ ही कहा है कि खाद्य मंत्रालय देश में चीनी उत्पादन को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ इसकी समीक्षा करता रहेगा।