जीडीपी के ताजा आंकड़ों में कृषि विकास दर 1.4 फीसदी पर अटकी, इसके पहले साल थी 4.7 फीसदी

केंद्र सरकार द्वारा जारी 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कृषि और सहयोगी क्षेत्र की विकास दर 1.4 फीसदी रही है। इसके पहले साल 2022-23 में कृषि व सहयोगी क्षेत्र की विकास दर 4.7 फीसदी रही थी।

केंद्र सरकार द्वारा 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कृषि और सहयोगी क्षेत्र की विकास दर 1.4 फीसदी रही है। इसके पहले साल 2022-23 में कृषि व सहयोगी क्षेत्र की विकास दर 4.7 फीसदी रही थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए शुक्रवार को जारी जीडीपी के प्रोविजनल अनुमान में यह जानकारी दी गई है। इन आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में इकनॉमी का ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) 7.2 फीसदी रहा जो इसके पहले साल 2022-23 में 6.7 फीसदी रहा था। 

असल में जीडीपी से टैक्स और सब्सिडी को अलग करने के बाद जो वैल्यू आती है उसे जीवीए कहते हैं। सरकार द्वारा जीडीपी के दूसरे आरंभिक अनुमान (एडवांस एस्टीमेट) में कृषि और सहयोगी क्षेत्र की जीवीए 0.7 फीसदी थी जो ताजा अनुमान में 1.4 फीसदी पर पहुंच गया है। यह आंकड़े सवाल जरूर खड़े करते हैं लेकिन सही स्थिति के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा जारी होने वाले फसल उत्पादन के आंकड़ों का इंतजार करना होगा। क्योंकि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमानों के मुताबिक अधिकांश फसलों का उत्पादन गिरा है।

जहां तक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी की बात है तो कृषि और सहयोगी क्षेत्र के जीवीए में हिस्सेदारी 18 फीसदी रही है। लेकिन अगर बाकी क्षेत्रों की वृद्धि दर को देखें तो इसमें खनन में पिछले साल के मुकाबले अधिक वृद्धि हुई है। वहीं 2.2 फीसदी की गिरावट (कांट्रेक्शन) के चलते कम आधार पर मैन्यूफैक्चरिंग ने 9.9 फीसदी की वृद्धि जीवीए में दर्ज की है। वहीं कंस्ट्रक्शन में 9.4 फीसदी की पिछले साल की जीवीए वृद्धि के मुकाबले 9.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। लेकिन होटल, ट्रेड, बिजली, पानी और फाइनेंशियल सर्विजेस, रियल एस्टेट और पब्लिक एडमीनिस्ट्रेशन सर्विसेज, डिफेंस व दूसरी सर्विसेज की ग्रोथ की दर 2023-24 में इसके पहले साल के मुकाबले कम रही है।

जहां तक कृषि क्षेत्र की बात है तो जिस तरह से खाद्यान्न महंगाई दर उच्च स्तर पर है। चावल, दालों, गन्ना, कपास और मोटे अनाजों के उत्पादन में गिरावट के आंकड़े कृषि मंत्रालय ने जारी किये थे उन्हें देखते हुए जीवीए का 0.7 फीसदी से बढ़कर 1.4 फीसदी पर जाना कई सवाल खड़े करता है। हालांकि, 2022-23 के 4.7 फीसदी की वृद्धि दर के मुकाबले इसका घटकर 1.4 फीसदी पर आना भी कृषि और सहयोगी क्षेत्र की चिंताजनक स्थिति दर्शाता है। यही वजह है कि अभी तक भी मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादों और एफएमसीजी उत्पादों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से मांग (रूरल डिमांड) कमजोर बनी हुई है।