खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को किसान संगठनों ने खेती की बढ़ती लागत को देखते हुए नाकाफी बताया और किसानों के साथ धोखा करार दिया है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि खरीफ फसलों के एमएसपी में हुई मामूली बढ़ोतरी किसानों से छलावा है। धान पर केवल 117 रुपये प्रति कुंतल की बढ़ोतरी ने किसान को फिर से निराश किया। किसानों की आय दोगुना का दावा धरा रह गया। टिकैत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की किसान विरोधी सोच पहली बैठक में ही सामने आ गई।
ऑल इंडिया किसान सभा ने किसानों को उत्पादन लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने के केंद्र सरकार के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह दावा किसानों की पूरी लागत (C2) की बजाय कमतर लागत (A2+FL) पर आधारित है। किसान सभा का दावा है कि अगर सरकार C2 लागत को आधार मानकर डेढ़ गुना एमएसपी तय करती तो धान का एमएसपी 3012 रुपये होता जो 2300 रुपये प्रति कुंतल तय किया गया है। इस प्रकार किसानों को प्रति कुंतल 712 रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। सभी फसलों में यही स्थिति है। ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एमएसपी के निर्धारण में खेती की बढ़ती लागत को ध्यान में नहीं रखा है।
उत्तर प्रदेश योजना आयोग के पूर्व सदस्य प्रो. सुधीर पंवार का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले वर्ष अनुमानित महंगाई दर 7.48 फीसदी रही थी। रागी और रामतिल, जिनकी एमएसपी में बढ़ोतरी 11.5 व 12.7 फीसदी है, के अतिरिक्त अन्य सभी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी महंगाई दर से कम रही है। इसका सीधा मतलब है कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी भी यदि किसानों को मिले तो उन्हें कोई लाभ नहीं होगा।
हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर एमएसपी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) तथा किसान मजदूर मोर्चा ने सरकार द्वारा एमएसपी में बढ़ोतरी को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि जब तक एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी का कानून नहीं बनता तब तक किसानों को फायदा नहीं होगा। चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोर्चों के नेताओं ने कहा कि धान में 117 रुपये (5.35%) व बाजरे में 125 रुपये (5%) की बढ़ोतरी की है जबकि मई, 2024 में ग्रामीण क्षेत्र में महंगाई दर 5.28 फीसदी है, इस तरह एमएसपी में बढ़ोतरी न के बराबर है। किसान नेताओं ने कहा कि 13 फरवरी से शुरू हुआ आंदोलन एमएसपी गारंटी कानून बनने तक जारी रहेगा। साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, लखविंदर सिंह औलख, अमरजीत मोहड़ी, तेजवीर सिंह, गुरमणित सिंह मांगट आदि मौजूद रहे।