पराली जलाने वाले किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलेगा! इस तरह की खबरें आने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, “अब मोदी सरकार ने घोषणा की है कि पराली जलाने वाले किसानों – विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में – को MSP नहीं मिलेगा। देश की राजधानी में प्रदूषण के कई कारण हैं। मोदी सरकार प्रदूषण के कारणों का समाधान ढूंढने के बजाय पंजाब और हरियाणा के किसानों पर घोर अत्याचार कर रही है। यह किसान संगठनों से किए गए उस वादे के साथ भी विश्वासघात है जो प्रधानमंत्री ने 19 नवंबर 2021 को तीन काले कृषि कानून वापस लेते समय किया था।"
खबरें हैं कि केंद्र सरकार पराली जलाने वाले किसानों को एमएसपी के लाभ से वंचित रखना चाहती है। इस बारे में केंद्र ने राज्य सरकारों को पत्र लिखा है। सुप्रीम कोर्ट की 2023 की सिफारिश का हवाला देते हुए केंद्र ने पराली जलाने वाले किसानों को इस साल से एमएसपी न देने की व्यवस्था बनाने को कहा है।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की तरफ से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को इस आशय के पत्र भेजे जा चुके हैं। राज्यों को पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई करने को कहा है। नई व्यवस्था इसी साल से लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पराली में आग लगाने वाले किसान और खेत की पहचान के लिए इसरो की मदद ली जाएगी। इसके लिए एक स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल तैयार किया जा रहा है।
इस संबंध में 10 अप्रैल को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई सचिवों की कमेटी (सीओएस) की बैठक में पराली जलाने वाले किसानों की लैंड रिकॉर्ड में “रेड एंट्री” और उन्हें एमएसपी से बाहर करने की तैयारी की समीक्षा की गई थी। केंद्र ने राज्यों के मुख्य सचिवों को जल्द ही स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा है।